Sunday, June 26, 2011

समान कार्य हेतु समान वेतन

24/06/2011

आय की असमानता और मंहगाई  
यह सम्पादकीय इस बारे में चिंता व्यक्त करता है कि,मंहगाई बढ़ने से जनता के जीवन-स्तर की प्रगति किस प्रकार रुक जाती है.बिलकुल सही बात है,लेकिन एक और भी समस्या प्रमुख है और वह है आय की असमानता .आम तौर पर केन्द्रीय कर्मचारियों का वेतन बढ़ते ही बाजार में मंहगाई बढ़ जाती है तब राज्यों में कर्मचारी आंदोलनों के जरिये अपने वेतन में कुच्छ बढ़ोतरी करवा लेते हैं,लेकिन निजी क्षेत्र के कर्मचारियों का वेतन आम-तौर पर नहीं बढ़ता है.ऐसी स्थिति में निजी क्षेत्र के मजदूर(हाथ और कलम दोनों के),छोटे किसान,फेरी वाले आदि को जीवन गुजारना दुरूह होता जाता है.उदाहरणार्थ सरकार जब गैस के दाम बढाती है तो भुगतान सभी को एक सा करना होता है जबकि आय सब की एक सी नहीं है.अनाज,दालें,दवाएं,दूध,फल,सब्जी सभी चीजें तो सब को एक दाम पर खरीदनी हैं लेकिन उन्हें उनके श्रम का भुगतान अलग-अलग दर से होता है.

आज जरूरत इस बात की है कि 'एक समान कार्य के लिए एक समान वेतनमान 'हो -कर्मचारी चाहे केंद्र सरकार में हो,चाहे राज्य सरकार में ,चाहे निजी क्षेत्र में उसे एक जैसे कार्य का एक समान वेतन मिलना चाहिए.व्यापारी और उद्योगपति तो अपने प्रोडक्ट का दाम खुद तय करता है,लेकिन किसान अपने प्रोडक्ट को अपने तय दाम पर नहीं बेच पाता है.अन्न दाता होकर भी किसान कंगाल ही रह जाता है ,तिस पर भी विकास के नाम पर उसकी जमीन छीन लेने का एक फैशन चल रहा है.

समय का तकाजा है कि जो लोग समृद्ध  हैं,खुद-ब-खुद बाकी लोगों का ख्याल करते हुए त्याग का परिचय दें और उनका जीवन-स्तर ऊपर उठाने में वांछित सहयोग दें.अन्यथा समय अपने हिसाब से न्याय कर ही देगा.आजकल भ्रष्टाचार उन्मूलन का जोअन्ना- फैशन चल रहा है वह वास्तविक जन -मुद्दों से आम लोगों को भटका कर शोषण कारियों  को लाभ दिला रहा है.'हिंदुस्तान लीवर लि.'जो मजदूरों का खुद शोषण करने में पीछे नहीं है आखिर क्यों अन्ना-टीम को आन्दोलन हेतु धन उपलब्ध करा रहा है जिसका उन्हीं के पूर्व साथी बाबा रामदेव ने खुलासा किया था.२५ जून २०११ के हिंदुस्तान,लखनऊ में छपे इस लेख का अवलोकन करें.


हिंदुस्तान-लखनऊ-२५/०६/२०११


वर्तमान शासकों की लापरवाही का ही यह परिणाम है जैसा की श्री शशी शेखर ने अपने २६ जून २०११ के सम्पादकीय में हिन्दुस्तान में लिखा है-"इसीलिये कुछ लोग खुद को जनता की आकांक्षाओं के मुखौटे के तौर पर पेश कर रहे हैं.इनमें से किसी का सियासी अनुभव नहीं है.इससे कुछ आशंकाएं बलवती हो रही हैं .कहीं ऐसा तो नहीं कि वे अनजाने ही जन आक्रोश को इतनी हवा दे  दें कि उसे सम्हालना मुश्किल हो जाए?मैं यहाँ कतई ऐसा नहीं कह रहा कि साफ़ -सुथरी सत्ता प्रणाली की मांग नाजायज है;पर इसके लिए उतावलापन उचित नहीं.परिवर्तन कामियों  ने एक मशाल जला दी है.अब उन्हीं की जिम्मेदारी है कि इसका प्रयोग सिर्फ और सिर्फ उजाला फैलाने के लिए हो ;आग भड़काने के लिए नही."

शशी शेखर जी भले ही साफ़-साफ़ न कहें परन्तु मुझे सच कहने से कोई गुरेज नहीं है कि अन्ना-रामदेव के आन्दोलन आर.एस.एस.के प्रभाव में हैं और साम्राज्यवादियों की चाल के तहत जनता को गुमराह करने हेतु चलाये जा रहे हैं अन्यथा धार्मिक भ्रष्टाचार जो आर्थिक भ्रष्टाचार की जननी है को समाप्त किये बगैर आधी-अधूरी बात क्यों की जा रही है?पेट्रोलियम पदार्थों में बढ़ोत्तरी करके सरकार ने जनता की कमर तोड़ दी है -कम वेतन वाले कैसे क्या  करें ?यह चिंतन का विषय प्राथमिकता पर होना चाहिए एवं समान कार्य हेतु समान वेतन का आन्दोलन सम्पूर्ण देश में एक साथ प्रारम्भ करने का प्रयास किया जाना चाहिए.




13 comments:

SANDEEP PANWAR said...

वर्तमान सरकार अपने हक में लोकपाल बिल पास करेगी, देख लेना

Dr (Miss) Sharad Singh said...

आगे-आगे देखिये होता है क्या....

Patali-The-Village said...

बिलकुल सही है, समान कार्य समान वेतन का आन्दोलन सम्पूर्ण देश में एक साथ प्रारम्भ करने का प्रयास किया जाना चाहिए|

Alpana Verma said...

पेट्रोलियम पदार्थों में बढ़ोत्तरी करके सरकार ने जनता की कमर तोड़ दी है -कम वेतन वाले कैसे क्या करें ?यह चिंतन का विषय प्राथमिकता पर होना चाहिए एवं समान कार्य हेतु समान वेतन का आन्दोलन सम्पूर्ण देश में एक साथ प्रारम्भ करने का प्रयास किया जाना चाहिए'
--सहमत हूँ.
-आप का यह बहुत ही संयमित और सामायिक लेख है .

virendra sharma said...

No doubt we are the best corrupt country and people in the world .Our economic policies are skewed increasing the gulf between the rich and poor .No doubt religious sector should be under national control but to say religious corruption is breeding economic corruption is not palatable .

Randhir Singh Suman said...

nice

Unknown said...

Division of working class in caste, religion & region proved blunder. Working Class must understand the implication of this division on their lives. Neglecting lefts in Hindi heartland more particularly CPI in elections gave ruling classes immense opportuity to neglect the working people.
Unification of left forces is the need of hour and we must try to understand it.

निर्मला कपिला said...

समान कार्य समान वेतन इस बात से सहमत हूँ।

रेखा said...

हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड के कर्मचारियों का शोषण एक प्रकार का प्रत्यक्ष शोषण है जो सब को नज़र आ रही है , परन्तु आजादी के बाद हमारे देश की जनता का अप्रत्यक्ष शोषण होता आया है काला धन और भ्रस्टाचार उनमे से एक है..

डॉ. मोनिका शर्मा said...

समय और स्वार्थ तय करेगा की आगे क्या होता है....

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

काश, ऐसा हो पाता...

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विलुप्‍त हो जाएगा इंसान?
कहाँ ले जाएगी, ये लड़कों की चाहत?

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

बढिया, अच्छे विचार

अमरनाथ 'मधुर'امرناتھ'مدھر' said...

सामान कार्य के लिए सामान का मुद्दा बहुत पुराना और निर्विवाद है |