अरुण प्रकाश मिश्रा जी,
नमस्ते,
03-11-1955, 14-45 pm,कानपुर पर आधारित विश्लेषण
आपके द्वारा दी गई उपरोक्त विषयक सूचना के अनुसार आपकी जन्म कुंडली संलग्नक के अनुसार निम्नवत होगी-
लग्न-कुम्भ,राशि-मिथुन,नक्षत्र-मृगशिरा तृतीय चरण,कार्तिक कृष्ण चतुर्थी,विक्रमी संवत-2012,शाक-1877,परिध योग,वनिज कारण,दिन-गुरुवार है।
चतुर्थ भाव मे-वृष का केतू।
पंचम भाव मे -मिथुन का चंद्रमा।
सप्तम भाव मे-सिंह का ब्रहस्पति।
अष्टम भाव मे -कन्या के बुध व मंगल।
नवां भाव मे-तुला के सूर्य और शनि।
दशम भाव मे-वृश्चिक के शुक्र व राहू।
इन सब का सम्मिलित प्रभाव इस प्रकार है-
सभ्य,शांत एवं कुलीन होने के साथ-साथ 'दार्शनिक' विचार
धारा के धनी होंगे। दूसरों की सेवा-सहायता व सहानुभूति को सदा तत्पर रहते
होंगे। खरी-खरी कहने मे हिचकिचाहट महसूस नहीं करते होंगे। क्रोध आपको जितना
शीघ्र आता होगा उतना ही शीघ्र उतर भी जाता होगा। ऐसे संकेत हैं कि बचपन मे
सिर मे चोट लगी होगी। जीवन के 52,54,55वे वर्ष अच्छे रहे होंगे। आगे 60वां
वर्ष भी अच्छा रहने के योग हैं। आप खुद भी आराम कम करते होंगे और
अधीनस्थों को भी आराम न करने देते होंगे। पत्नी भाव मे बैठा -ब्रहस्पति
जहां एक ओर आपको विद्वान,कला-प्रिय,व गुणज्ञ बना रहा है वहीं यह आपकी पत्नी
को सफल एवं समझदार भी बना रहा है एवं तुनक-मिजाज भी। काव्य,संगीत व नाटक
मे भी आपकी अभिरुचि हो सकती है। वृद्धावस्था आनंदमय रहेगी-पूर्ण संतान-सुख
प्राप्त रहेगा।
उच्चाधिकार,मान-प्रतिष्ठा मे बाधाएँ उपस्थित होती
होंगी। शत्रु अधिक होंगे व परेशान करने वाले होंगे। नवां भाव स्थित शनि (
जो लग्नेश भी है और उच्च का भी है)तथा दशम भाव गत राहू आपको सक्रिय
राजनीति मे सफलता अवश्य ही दिलाएँगे। आपके जैसा राहू डॉ राजेन्द्र
प्रसाद,नेताजी सुभाष बॉस,सदा शिव कान्होजी पाटील,चंगेज़ खाँ एवं महात्मा
गांधी की कुंडलियों मे भी था जिसने उन्हें राजनीति मे इतना मान दिलाया
किन्तु इन सब को चतुर्थ के केतू ने जीवन के अंतिम वर्षों मे कष्ट भी प्रदान
किया अतः आप 'बचाव एवं राहत प्राप्ति' हेतु अभी से ही-'ॐ कें केतवे नमः'
का प्रतिदिन जाप 108 या कम से कम 27 बार पश्चिम की ओर मुंह करके तथा धरती
और अपने बीच इंसुलेशन बनाते हुये किसी ऊनी आसन आदि पर बैठ कर करें और
'केतू' के दुष्प्रभाव को टालने का प्रयास करें।
स्वास्थ्य -
कफ,सर्दी,दमा,पीलिया,त्रिदोष,क्षय,जलोदर,मोतिया,लीवर की खराबी,प्रमेह,रक्त-पित्त,सूजन,कैंसर आदि रगों के होने की संभावना है। वृद्धावस्था मे पेट एवं छाती के रोग भी हो सकते हैं।
अतः आप खट्टी वस्तुओं एवं तेल से बनी चीजों का सेवन न करें। बीड़ी ,तंबाकू,शराब से दूर रहें।
शुभ अशुभ
दिन- सोम,शुक्र व
मंगल ,ब्रहस्पतिवार ।
बुध व रविवार ।
शनिवार -हानीदायक।
रंग- पीला,लाल,सफ़ेद,क्रीम।
हरा व नीला।
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शुभ रंगों के वस्त्र धारण करें या कम से कम किसी एक
रंग का रूमाल ही साथ रखें। अशुभ
रंगों का प्रयोग न करें न ही इन रंगों की पुताई कराएं।
समय सारिणी
19-11-1999 से 18-05-2008 तक समय शुभ व सफलता का था।
19-05-2008 से 15-05-2009 तक 'भूमि' लाभ का समय था।
16-05-2009 से 03-12-2011 तक हानीदायक समय था।
04-12-2011 से 09-03-2014 तक लाभदायक समय चल रहा है। प्रयास करके पूरा लाभ उठा लें चूकें नहीं।
10-03-2014
से 18-11-2016 तक वैसे तो समय सामान्य है और अधिक प्रयास करके ही लाभ उठा
सकते हैं किन्तु इसी दौरान 60वा वर्ष भी आएगा अतः 59 वर्ष पूर्ण करते ही
विशेष प्रयास द्वारा विशेष लाभ उठा लें। ढील न होने दें।
19-11-2016 से 21-10-2018 तक समय उन्नति,लाभ,सुख का रहेगा तदनुकूल प्रयास करते रह कर लाभ अवश्य लें।
22-10-2018 से 21-05-2019 तक 'हानीकारक' समय है। बचाव एवं राहत प्राप्ति हेतु प्रतिदिन 108 बार-ॐ सों सोमाय नमः'का जाप करें।
22-05-2019 से 18-10-2019 तक 'रोगकारक' समय रहने की संभावना है। प्रतिदिन-108 बार 'ॐ अंग अंगारकाय नमः'का जाप करें।
19-10-2019 से 06-11-2020 तक चिंता एवं बाधा का समय है। इससे निबटने हेतु प्रतिदिन-108 बार 'ॐ रा राहवे नमः' का जाप करें।
07-11-2020 से 08-11-2023 तक समय अनुकूल,धन लाभ का एवं शुभ है। सद्प्रयास से लाभ उठाएँ।
दान न दें-
1-छाता,कलम,मशरूम,घड़ा,हरा मूंग,हरे वस्त्र,हरे फूल,सोना,पन्ना,केसर,कस्तूरी,हरे रंग के फल,पाँच-रत्न,कपूर,हाथी-दाँत,शंख,घी,मिश्री,धार्मिक पुस्तकें,कांसा और उससे बने बर्तन आदि।
2-सोना,नीलम,उड़द,तिल,सभी
प्रकार के तेल विशेष रूप से सरसों का तेल,भैंस,लोहा और स्टील तथा इनसे बने
पदार्थ,चमड़ा और इनसे बने पदार्थ जैसे पर्स,चप्पल-जूते,बेल्ट,काली
गाय,कुलथी, कंबल,अंडा,मांस,शराब आदि।
विदेश की स्थिति-
जन्म
कुंडली का प्रथम भाव- आत्मा,मस्तिष्क और शरीर का प्रतिनिधित्व करता
है,तृतीय भाव -विदेश यात्रा का और नवां भाव -लंबी यात्राओं का।
आपका लग्नेश 'शनि' नवम भाव मे शुक्र की राशि मे
आत्मा के कारक सूर्य के साथ स्थित है। तृतीयेश 'मंगल'अष्टम भाव मे बुध की
राशि मे और बुध के साथ स्थित है जबकि बुध की दूसरी राशि मे चंद्र जो मन का
कारक होता है स्थित है । शुक्र दशम भाव मे मंगल की राशि मे राहू जो शनि
सदृश्य फल देता है के साथ स्थित है।
इस प्रकार आपके प्रथम 'लग्न' भावके स्वामी 'शनि' का
तृतीय भाव के अधिपति मंगल के साथ शुक्र का वहाँ स्थित होने से एवं नवम भाव
के स्वामी से उसकी राशि मे वहीं स्थित होने से घनिष्ठ संबंध है।
ग्रहों के अनुसार आपको लंबी विदेश यात्राएं सम्पन्न
करते हुये काफी समय विदेश मे गुजारने के हैं और उन्हीं के अनुरूप आप विदेश
यात्राएं करते रहेंगे।
जहां तक मेरा निष्कर्ष है
आप विदेश मे बसेंगे नहीं क्योंकि आपको 'राजनीति' मे सक्रिय भूमिका निभानी
है और उसके लिए आपको देश सेवा करनी ही होगी। अब से अक्तूबर 2018 तक महा दशा
और अंतर्दशा के हिसाब से आपका समय आपके पक्ष मे है ,आप खुद अपने हिसाब से
निर्णय करके इस दौरान सक्रिय होंगे।
हम चाहते हैं कि आप शीघ्र राजनीति मे उच्च पद ग्रहण
करें। हमारी शुभ कामनाएँ आपके साथ हैं। हम भी कह सकेंगे कि ये महान व्यक्ति
हमारे पूर्व परिचित हैं।