Saturday, March 19, 2016

हमारी लड़ाई सीधे तौर पर तानाशाही के खिलाफ है ------ कन्हैया कुमार


कन्हैया का मोदी सरकार पर वार, आप अंग्रेज है तो हम भगत सिंह के सिपाही
मार्च 19, 2016 भारत
JNUSU president Kanhaiya Kumar

केंद्र की मोदी सरकार पर एक बार फिर हमला बोलते हुए जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने कहा कि वे तानाशाही के खिलाफ सीधी लड़ाई छेड़ेंगे। कन्हैया ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह देश भर के विश्वविद्यालयों को निशाना बना रही है। उन्होंने सभी लोकतांत्रिक ताकतों का समर्थन मांगते हुए कहा कि यह देश को बचाने की मुहिम है।

कन्हैया ने कहा कि संविधान की बात करने वालों को राजद्रोह के उस मामले में कानून को अपना काम करने देना चाहिए जिसमें उनके साथ-साथ जेएनयू के छात्र उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को भी आरोपी बनाकर गिरफ्तार किया गया था। कन्हैया ने कहा कि सड़क पर इंसाफ करना स्वीकार्य नहीं है। इंडिया टुडे कॉनक्लेव में कन्हैया ने कहा, ‘हो सकता है कि आप मेरी राजनीति से सहमत न हों। यह सिर्फ जेएनयू की बात नहीं है। देश भर में विश्वविद्यालयों को निशाना बनाया जा रहा है। अब हमारी लड़ाई सीधे तौर पर तानाशाही के खिलाफ है। सभी लोकतांत्रिक ताकतों को साथ आना होगा। देश में इस एकता की जरूरत है’।

कन्हैया ने कहा कि लोगों के सामने आज सबसे बड़ा सवाल देश को बचाने का है, लेकिन जेएनयू विवाद में मामले को देशभक्त बनाम देशद्रोही का रंग दे दिया गया। उन्होंने कहा कि देशभक्त का काम यह नहीं होता कि अपने ही देश के लोगों, युवाओं और छात्रों के खिलाफ राजद्रोह जैसे काले कानून का इस्तेमाल करे। उन्होंने कहा, ‘आप ऐसे बर्ताव कर रहे हैं जैसे आप अंग्रेज बन गए हैं और हम भगत सिंह के सिपाही हैं। यदि आपको राजद्रोह जैसे काले कानून के इस्तेमाल में कोई हिचक नहीं है तो हमें भी भगत सिंह का सिपाही बनने में कोई दिक्कत नहीं है।

इस मौके पर जेएनयू छात्र संघ की उपाध्यक्ष शहला राशिद शोरा ने कहा कि सबको साथ लेकर चलने वाला भारत का विचार आज खतरे में है। शहला ने कहा, ‘चूंकि राजनीति हमारा भविष्य तय करती है, ऐसे में हम ही अपनी राजनीति तय करेंगे । विश्वविद्यालय लोकतांत्रिक स्थान होते हैं। हमें उन्हें आरएसएस से बचाना होगा’।


जम्मू-कश्मीर की रहने वाली शहला ने कहा कि वे भारत की बेहद हिंसक छवि देखते हुए पली-बढ़ी हैं, लेकिन जेएनयू ने उन्हें लोकतांत्रिक जगह मुहैया कराई। इससे पहले, कन्हैया ने राजद्रोह कानून को निरस्त करने के लिए लड़ाई छेड़ने का संकल्प जताया। इसी कानून के तहत एक विवादास्पद कार्यक्रम के सिलसिले में पिछले महीने कन्हैया और विश्वविद्यालय के दो अन्य पीएचडी छात्रों को गिरफ्तार किया गया था। उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को जमानत दिए जाने का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि सभी पार्टियों और लोकतंत्र का समर्थन करने वाले लोगों को ब्रिटिश युग के कानून को खत्म करने की मांग को लेकर आगे आना चाहिए।
साभार :

http://www.hindkhabar.in/india/1536-kanhaiya-war-british-and-bhagat-singh-soldiers

सौजन्य से :

Sindhu Khantwal

कामरेड कन्हैया के अभियान को निम्नांकित लेख भी पुष्ट करता है -------



 ~विजय राजबली माथुर ©
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