सोमवार, 25 सितंबर 2023 को "घर, मकान और बदनीयतों की निगाहें" शीर्षक से जो आशंका व्यक्त की थी आखिरकार उसकी पुष्टि कल 22- 10 - 2023 को गोकागु की संलग्न टिप्पणी से स्पष्टता : हो जाती है।
दो वर्ष पूर्व 25 सितंबर 2021 को हम अपने वर्तमान मकान में रहने आए थे। यह मकान वृहत्तर लखनऊ की एक नव- विकसित कालोनी में है। यहाँ बहुत से लोग लखनऊ के बाहर से आकर बसे हैं जो लखनवी तहज़ीब से नावाकिफ हैं , पैसे वाले हैं और दूसरों की मेहनत की कमाई से अर्जित मकानों पर गिद्ध दृष्टि लगाए हुए हैं। ऐसे लोगों ने पहले तो ये अफवाहें उड़ाईं कि, कालोनी के कुछ मकान अवैध निर्मित हैं जिससे घबरा कर उनके मालिक हड़बड़ा कर सस्ते में बेच कर भाग जाएँ और ये भू - माफिया अपना धंधा करके अकूत कमाई कर सकें। हो सकता है इससे कुछ लाभ उनको मिला भी हो।
इन लोगों का शिष्य गोकागू तमाम तांत्रिक प्रक्रियाओं का सहारा लेकर भी हमें परेशान करने के उपक्रम करता रहता है। 26 अगस्त 2022 को एक वृद्ध पड़ोसी ए बी प्रसाद साहब हमारे घर मिलने आए थे तो उनको ही गलत व्यक्ति साबित करने के लिए 27 अगस्त 2022 को अर्थात अगले ही दिन मुझे अपनी तांत्रिक प्रक्रिया से दुर्घटना - ग्रस्त कर दिया था जिसके कुछ जख्म मुंह पर अब भी बरकरार हैं । गोकागू को लगता है कि, चूंकि मेरी पत्नी को ग्लूकोमा और मोतियाबिंद की वजह से देखने और पहचानने में समस्या है अतः मुझे मार कर वह आसानी से मेरे पुत्र को दबाव बना कर हमारे मकान पर बलात कब्जा कर लेगा और उन दोनों को खदेड़ देगा। संलग्न फ़ोटो प्रति से उन लोगों की गिद्ध - दृष्टि की पुष्टि भी होती है।
स्पष्ट करना चाहता हूँ कि, हमारे परिवार के किसी भी सदस्य को किसी भी प्रकार की अनहोनी का सामना करना पड़ता है तो गोकागू , उसके बुलडोजर आका और उसके पीछे लामबंद होकर हमारे परिवार का बहिष्कार करने वाले सभी जनों को ही उत्तरदाई समझा जाए।
इस गोकागु की हमारे यहाँ आने के तुरंत बाद से हमारे यहाँ क्या हो रहा है, कौन आया क्यों आया जानने और अनावश्यक दखलंदाज़ी करने की प्रवृत्ति पाए जाने पर हमने उसके परिवार से बोलचाल बंद कर दी थी। इस कारण इस गोकागु ने आमने - सामने रहने वाले इस रो के सभी लोगों को हमारे प्रति घृणित दुष्प्रचार करके हमारा बहिष्कार करवा रखा है। लेकिन इसके समर्थक कभी किसी कागज पर हस्ताक्षर कराने की कोशिश करते हैं कभी किसी पाखंड कार्यक्रम के लिए चन्दा मांगने आते रहते हैं। पहले ये लोग सब्जी वाले चौराहे को रावण चौक कहते थे , अभी भी कुछ लोग ऐसा ही करते हैं। कुछ लोगों ने इसका नामकरण ' माँ दुर्गा चौक ' कर दिया है और इस नाम के ग्रुप में हमें भी शामिल कर लिया है।
मेकेनिकल इंजीनियर और ज्योतिष के विशेषज्ञ आचार्य राजीव नारायण शर्मा के विश्लेषण का वीडियो जिसमें नवरात्र और दशहरा के संबंध में धार्मिक विचार सम्मिलित हैं का लिंक इस ग्रुप में लगाने पर यह गोकागु जो खुद को शायद ग्रुप का डिक्टेटर समझता है मुझे आदेश देने की टिप्पणी जिसकी फ़ोटो प्रति ऊपर संलग्न है लगा गया था। वह समझता होगा जो मैं उससे बोलना पसंद नहीं करता उसको जवाब दूंगा तो यह उस बुद्धि के रासभ और अक्ल के खोते का खयाली पुलाव ही है।
जो गोकागु दो वर्ष पूर्व कहता था कि उसने 10 वर्ष से अब तक 12 वर्ष हो गए लेखनी - पेन को हाथ नहीं लगाया है और वह अखबार भी नहीं पढ़ता। ऐसे कुपढ़ एजुकेटेड इललिट्रेट से हम लोग तो संपर्क रख ही नहीं सकते भले ही सारे कुपढ़ एजुकेटेड इलिट्रेट उसके पीछे लामबंद रहें तो रहें फिर उनको न तो हमसे कोई चन्दा मांगना चाहिए और न ही किसी सहयोग की अपेक्षा करनी चाहिए।।
इस गोकागु ने कुपढ़ एजुकेटेड इललिट्रेट को यह पट्टी पढ़ा रखी है कि मेरे मरने पर मेरे बेटे को मेरे लाश ठिकाने लगाने के लिए उस कमबख्त के आगे झुकना ही पड़ेगा परंतु यह भी उसका दिवा स्वप्न ही होने वाला है।
बहरहाल इस बार नवरात्र के दौरान गोकागु का बेनकाब होना हमारे लिए एक बड़ी उपलब्धि है। जो विषैला नाग छुप छुप कर फुफकारता था वह अब फन फैलाए खुद - ब - खुद नग्न हो ही गया।
~विजय राजबली माथुर ©