Saturday, May 16, 2020

हमें कोरोना के साथ जीने की आदत डालनी होगी ------ डॉ रणदीप गुलेरिया , डायरेक्टर , एम्स (AIIMS )




Girish Malviya
भारत का नीति आयोग पूरी तरह से बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के निर्देशों पर ही काम कर रहा है, बिल गेट्स जैसी नीति निर्धारित करते हैं भारत मे नीति आयोग वही नीति लेकर के आता है ..............आपको जानकर आश्चर्य होगा कि नवम्बर 2019 में जब बिल गेट्स भारत मे आए तो नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने बिल गेट्स की मौजूदगी में 'हेल्थ सिस्टम फॉर ए न्यू इंडिया: बिल्डिंग ब्लॉक्स- पोटेंशियल पाथवेज टू रिफॉर्म' रिपोर्ट पेश की थी..........यह रिपोर्ट भारत के आगामी हेल्थ सिस्टम का रोडमैप है, क्योंकि यह व्यवस्था उस मध्य वर्ग के लिए है जो अब तक किसी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली जैसे आयुष्मान भारत के दायरे में नहीं आते हैं. ................मुझे तो यह भी लगता है कि आयुष्मान भारत भी नीति आयोग गेट्स फाउंडेशन की सलाह से ही लाया है क्योंकि यह योजना भी अमेरिका की ओबामा केयर योजना की भोंडी नकल मात्र है ओर आयुष्मान भारत को पूरी तरह से पेपरलैस बिल गेट्स को हर तरह का डाटा प्रदान करने के लिए ही किया जा रहा है.........

आज कोरोना काल की सबसे बड़ी उपलब्धि नीति आयोग आरोग्य सेतु एप्प को बता रहा है इसे भी अगर आप ध्यान से देखे तो आप पाएंगे कि उसमे विदेशी वित्त पोषित ई फार्मासिस्ट कंपनियों के ढेरों एड दिखाई दे रहे है

दरअसल यही बिल गेट्स का विजन है गेट्स ने नवम्बर में भारत दौरे जो कहा था उसे ध्यान से समझ लीजिए आपके ज्ञान चक्षु खुल जाएंगे उन्होंने कहा था.......... 'निजी क्षेत्र के व्यापक इनोवेशन और डिजिटल उपकरणों जैसी तकनीक के इस्तेमाल से भारत को कम खर्च में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने में मदद मिलेगी'.......

आरएसएस के स्वदेशी जागरण मंच ने आरोप लगाया है कि नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत आरोग्य सेतु एप के जरिये ऐसी ई-फार्मेसियों को बढ़ावा दे रहे हैं, जो भारत में अवैध रूप से काम कर रही हैं।....उन्होंने कहा कि 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कोरोना वायरस से लड़ने के लिए यह एप विदेशी वित्त पोषित ई फार्मासिस्टों की सेवा कर रहा है।"

यह बिल्कुल सच है 18 दिसंबर, 2018 को दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया था कि बिना लाइसेंस के दवा की ऑनलाइन बिक्री नहीं की जा सकती। लेकिन कोरोना के इस दौर में सबसे ज्यादा चांदी कोई काट रहा है तो वह है फार्मा से जुड़ी हुई 1 mg ओर प्रैक्टो जैसी एप्प

ओर अगर आप यह सोच रहे है कि यह सिर्फ दवाई बिक्री की एप्प है तो आप बिलकुल गलत सोच रहे हैं असली प्लान इन कम्पनियों के बहुत ही बड़ा है

ओर वह है भारत के हेल्थ सेक्टर में #टेलीमेडिसिन की एंट्री, नीति आयोग ने हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के नाम पर टेलीमेडिसिन को बढ़ावा देने की पूरी नीति को तैयार कर रखा है इन सेंटर्स का आयुष्मान भारत मे बहुत बड़ा रोल है

सरकार ने नीति आयोग के साथ मिलकर पिछले महीने ही टेलीमेडिसिन को लेकर जल्दबाजी में एक गाइडलाइन जारी की है जिसमे बहुत से प्रश्नों को छोड़ दिया गया है जिसका सीधा फायदा इन विदेशी कंपनियों को मिलने जा रहा है

‘टेली’ एक ग्रीक शब्द है जिसका अर्थ है ‘दूरी’ और ‘मेडेरी’ एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है ‘ठीक करना’। टाइम पत्रिका ने टेलीमेडिसिन को ‘हीलिंग बाई वायर’ (healing by wire) के नाम से संबोधित किया है।

टेलीमेडिसिन के बहाने भारत का हेल्थ सेक्टर तेजी से ऑर्गेनाइज होने जा रहा है.......आरोग्य सेतु के जरिए ऑनलाइन टेलीमेडिसिन और चिकित्सा परामर्श (कॉल और वीडियो), होम लैब टेस्ट आदि किये जाने की ही बात है.....

वैसे टेलीमेडिसिन अपने आप मे कोई बुरी बात नही है क्योकि हेल्थकेयर पर होने वाले खर्च को कम करने में टेलीमेडिसिन का फंडा बड़ा ही कारगर साबित हो रहा है।
लेकिन सवाल वही है जो आरोग्यसेतु एप्प के साथ है और वह है डाटा सुरक्षा का.....दरअसल यह एप्प पर तो लोगो का ध्यान भी है लेकिन इसी से जुड़ी हुई जो आरोग्‍य सेतु मित्र वेबसाइट है वही असली खेल हो रहा है, उसमे हेल्‍थ सेक्‍टर की कई प्राइवेट कंपनियों के साथ पार्टनरशिप की गयी है.

कानूनी विशेषज्ञ टेलीमेडिसिन कंपनियों और ई-कंस्लटेशन कंपनियों के रेगुलेशन (नियमन) का सवाल उठाते हैं। जिसको अभी कोरोना काल मे एक झटके में दरकिनार कर दिया गया है.......उनकी सबसे बड़ी चिंता यह है कि ये कंपनियां मरीजों के डेटा का दुरुपयोग कर सकती हैं। लीगल एक्सपर्ट सिद्धार्थ चंद्रशेखर ने बीबीसी से कहा, "डेटा प्राइवेसी को लेकर चिंता बनी रहेगी। क्योंकि मरीज के पूरे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़ा डेटा धोखाधड़ी करने वाले तत्वों में हाथों में पड़ सकता है। वे इसका दुरुपयोग कर सकते हैं।"भारत में काम करने वाले एडवोकेसी ग्रुप इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने अप्रैल में एक रिपोर्ट जारी की थी। इसमें कहा गया था कि टेलीमेडिसिन एप्स के जरिए इकट्ठा संवेदनशील मेडिकल और पर्सनल डेटा तक किसकी (किस संगठन की) पहुंच होगी, इस पर पारदर्शिता नहीं है।

आने वाले दिनों में आरोग्य सेतु ऐप फोन में इनबिल्‍ट ही रहेगा यानी प्लानिंग बहुत लम्बी है.....

नीति आयोग कोविड 19 के दौर में सहयोगी के नाम पर बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन को जोड़े हुए हैं उसकी तरफ से30,000 किट आरटीपीसीआर परीक्षण किट-यूपी और बिहार को दिये गए है,..... कोविड 19 पर प्रचार सामग्री बाँटने का ठेका उन्ही के पास है

बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने भारत मे डेल फाउंडेशन और वाधवानी फाउंडेशन के साथ एक्शन कोविड -19 टीम (act) बनाया है और अनुदान के रूप में 100 करोड़ का अनुदान दिया गया, एसीटी ग्रांट एक भारतीय नॉन-फॉर-प्रॉफिट ग्रांट है जो उद्यम पूंजी निवेशकों और स्टार्ट-अप संस्थापकों द्वारा स्थापित किया गया है पिछले 43 दिनों में 39 स्टार्ट-अप को अनुदान दिया है। ये अनुदान टेलीमेडिसिन, मास-स्केल परीक्षण, रोगी ट्रैकिंग, संदिग्ध निगरानी, ​​संपर्क ट्रेसिंग और पीपीई किट के निर्माण के क्षेत्रों में आते हैं,

ये सब बिजनेस है कोई परोपकार - शरोपकार नही है जो बिल गेट्स को परोपकारी उद्योगपति समझे बैठे है वो अपने दिमाग के जाले साफ कर ले........
https://www.facebook.com/girish.malviya.16/posts/3230851870279772

















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  ~विजय राजबली माथुर ©

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