भरत झुनझुनवाला साहब ने आर्थिक आधार पर यू एस ए का साथ देने को भारत के लिए घाटे का सौदा बताया है इसके अतिरिक्त राजनीतिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी ऐसा करना अदूरदर्शिता ही है।
यू एस ए ने रासायनिक हथियारों का झूठा आरोप लगा कर ईराक को नेस्तनाबूद कर दिया अर्थात प्राचीन मेसोपोटामिया सभ्यता और संस्कृति को नष्ट कर डाला। मिस्त्र आदि अनेकों सभ्यताओं व संस्कृतियों को नष्ट करने का दोषी है यू एस ए।
वर्तमान में चीन और भारत को लड़वा कर यू एस ए चीन व भारत दोनों की प्राचीन संस्कृतियों को नष्ट करना चाहता है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का संकल्प था ' एशिया फार एशियन्स ' यदि उसके आधार पर रूस, चीन और भारत एकजुट हों तो यू एस ए ही नहीं सम्पूर्ण विश्व का मजबूती से मुकाबला कर सकते हैं।
इसके अतिरिक्त भारत- बांगलादेश-पाकिस्तान को मिल कर ' भारत- बांगलादेश- पाक महासंघ ' बनाना चाहिए जिससे तीनों देशों की जनता को राहत मिलेगी सभी जगह उन्नति व समृद्धि हो सकेगी। 1947 में यू एस ए ने ही भारत - पाक विभाजन अपने साम्राज्यवादी हितों को साधने के लिए ब्रिटेन से करवाया था जिसमें वह आज भी संलग्न है। भारत प्रायद्वीप ही नहीं सम्पूर्ण एशिया की जनता का हित सुरक्षित करने के लिए यू एस ए की चालों से बचने की नितांत जरूरत है।
~विजय राजबली माथुर ©
No comments:
Post a Comment