Tuesday, January 31, 2012

उत्तर प्रदेश मे भाकपा के प्रति जन-उत्साह

कल  एक वरिष्ठ पत्रकार को साक्षात्कार देते हुये उत्तर-प्रदेश भाकपा के वरिष्ठ नेता कामरेड अरविंद राज स्वरूप ने बताया कि,इस बार के चुनावों मे हमारी पार्टी के प्रति जनता का अनुकूल रुझान मिल रहा है। उन्होने कहा कि प्रदेश सचिव कामरेड डॉ गिरीश और वरिष्ठ नेता कामरेड अशोक मिश्रा और केंद्रीय नेता गण कामरेड अतुल अंनजान एवं कामरेड अमरजीत कौर पूर्वाञ्चल के दौरे पर हैं। जहां-जहां उनकी जन-सभाएं हुई हैं जनता का भाकपा के प्रति सकारात्मक रुझान देखने को मिला है। यों तो सभी भाकपा प्रत्याशी काफी मजबूती से गंभीरता पूर्वक चुनाव मैदान मे हैं किन्तु फिर भी पूर्व विधायक गण -कामरेड इम्तियाज़ और कामरेड राजेन्द्र यादव की की स्थिति  प्रथम चरण के मतदान वाले क्षेत्रों मे काफी सुदृढ़ चल रही है। उन्होने खुद के बारे मे बताया कि कल ही कानपुर  के किदवई नगर विधानसभा क्षेत्र के प्रत्याशी के संबंध मे प्रेस कान्फरेंस करके लौटे हैं। सभी स्थानीय समाचार पत्रों-दैनिक जागरण,जन संदेश टाईम्स आदि ने पार्टी को पर्याप्त महत्व दिया है और स्थानीय चैनलों ने टी वी पर प्रमुखता से भाकपा के समाचारों को दिखाया है। वहाँ प्रत्याशी के बारे मे उन्होने बताया कि युवा प्रत्याशी से जब पत्रकारों ने पूछा कि उनकी टक्कर किस दल से है तो हमारे प्रत्याशी ने जवाब दिया कि सभी विरोधी प्रत्याशियों की टक्कर उनसे ही है। पत्रकारों पर उनके आत्म विश्वास का सकारात्मक प्रभाव पड़ा और सभी ने उन्हें महत्व दिया। 

लखनऊ मे भाकपा की स्थिति 

आज लखनऊ की मलीहाबाद (सु ) सीट के भाकपा उम्मीदवार कामरेड महेंद्र रावत ने बाकायदा अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया। जिला मंत्री कामरेड मो .ख़ालिक़ के नेतृत्व मे पार्टी साथियों के साथ युवा एवं कर्मठ प्रत्याशी करेड महेंद्र रावत पार्टी कार्यालय ,क़ैसर बाग से एक जत्थे के रूप मे कलेक्टरी स्थित निर्वाचन कार्यालय मे दोपहर पहुंचे और समस्त औपचारिकताए पूरी करने के बाद नामांकन भर दिया। बेनीगंज विधानसभा क्षेत्र से 2002 मे पार्टी प्रत्याशी रही कामरेड सुमन रावत की मौजूदगी विशेष उल्लेखनीय है।  कामरेड मो .अक्रम और कामरेड परमानंद दिवेदी के साथ कामरेड विजय माथुर भी प्रत्याशी के साथ थे।

इससे पूर्व कल दिनांक 29 जनवरी 2012 को मलीहाबाद,और क्षेत्र के कई गावों मे पार्टी की एक टीम ने दिन भर दौरा करके मतदाताओं से घर-घर जाकर संपर्क किया। कामरेड महेंद्र रावत ने जन-समस्याओं को सुना और उनके समाधान करने हेतु निजी प्रयास करने का आश्वासन दिया। कई ग्राम प्रधानों ने भी पार्टी प्रत्याशी का ठोस समर्थन करने का आश्वासन दिया। कामरेड महेंद्र रावत ने मलीहाबाद विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित होने के बाद कार्य सूची जारी करके निदान करने का वादा किया है। घोषणा सूची संलग्न है।

इस टीम मे पार्टी प्रत्याशी के साथ कामरेड अक्रम,कामरेड विजय माथुर ,गुड्डू,अशोक,रामनाथ,श्रीमती सर्वेश और श्रीमती मीता रावत भी थे। जनता के रुझान से लगता है कि भ्रष्टाचार से ऊबी हुई जनता इस बार भ्रष्टाचार मुक्त पार्टी-भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को विजयी बनाने के पक्ष मे है। 



Thursday, January 26, 2012

गणतन्त्र कैसा?

Hindustan-Lucknow-24/01/2012

Hindustan-Lucknow-24/01/2012
उपरोक्त स्कैन कापियों को चित्र पर डबल क्लिक करके अवलोकन करें और दोनों मे समानता समझने का कष्ट करें। स्वाधीनता के 64 वर्ष और गणतन्त्र लागू हुये 62 वर्ष पूर्ण होने के बाद भी हमारे देश मे गुलामी की प्रतीक-प्रथा 'भ्रष्टाचार' इतना तीव्र है कि जिसके सामने 'आदमी' की जिंदगी के कोई माने नहीं हैं। क्या सिर्फ 'राजनीतिज्ञों का ही क़ुसूर है इस दुर्व्यवस्था के लिए जैसा कि कारपोरेट दलाल अन्ना/रामदेव का इल्जाम है?

तमाम धार्मिक कहे जाने वाले उत्सवों मे भगदड़ से असंख्य लोगों की जाने जाती रहती है उनको कौन प्रोत्साहित करता है?धर्म के ठेकेदार दलाल जो पुरोहित कहलाते हैं या 'राजनीतिज्ञ'?

मेरा यह सुदृढ़ अभिमत है कि भ्रष्टाचार चाहे वह धार्मिक है या आर्थिक-सामाजिक,जातीय या सांप्रदायिक सबके पीछे इन पुरोहितवादी दलालों की भूमिका है जो 'जोंक' और 'खटमल' की भांति परोपजीवी होते हैं। ऐसे ढ़ोंगी-पाखंडी जनता को उल्टे उस्तरे से मूढ़ कर साम्राज्यवादी लुटेरों का खजाना भरते और खुद मौज उड़ाते हैं। जब तक इन परोपजीवी दलालों का आतंक रहेगा न आप भ्रष्टाचार दूर कर सकते हैं न ही निरपराध लोगों की जिंदगियों की रक्षा कर सकते हैं।

आज इस गणतन्त्र दिवस पर यह संकल्प लिए जाने की आवश्यकता है कि आसन्न विधानसभा चुनावों मे साम्राज्यवादियों-शोषकों,उतपीडकों को शिकस्त देने हेतु जहां भी बमपंथी/भाकपा प्रत्याशी हैं उन्हें प्रचंड बहुमत से विजयी बना कर विधानसभाओं मे भेजा जाए तभी 'भ्रष्टाचार' पर भी अंकुश लगाया जा सकेगा और बेगुनाहों को मौत के मुंह मे जाने से भी रोका जा सकेगा।







आपने देखा 15 अगस्त 2011 को ब्लैक आउट करने का आह्वान करके और राष्ट्रीय झंडे को कारपोरेट दलालों के बचाव मे बाजारू बना कर अन्ना और उसकी टीम ने कितना बड़ा राष्ट्रीय अपराध किया था-शहीदों की कुर्बानियों का उपहास स उड़ाया था । आज इस गणतन्त्र पर उसका हिसाब लेने की सख्त जरूरत है। भविष्य मे कोई सिर-फिरा फिर से राष्ट्रध्वज का अपमान न कर सके यह सुनिश्चित करना आम जनता का दायित्व है।


Tuesday, January 24, 2012

चुनावों मे भाकपा की स्थिति मजबूत

168 -मलीहाबाद (सु) सीट से बाम मोर्चा समर्थित भकपा प्रत्याशी कामरेड महेंद्र रावत एक युवा एवं कर्मठ कार्यकर्ता हैं। पिछले कई चुनावों मे जब भाकपा ने दूसरे दलों का समर्थन किया और अपने प्रत्याशी नहीं खड़े किए तब भी का .महेंद्र निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर महोना विधान सभा क्षेत्र से चुनाव लड़ते रहे हैं। इस बार पार्टी ने अपनी पुरानी सीट मलीहाबाद से इन्हे प्रत्याशी बनाया है। वर्तमान विधायक बसपा प्रत्याशी (जो अपने सपा विधायक पिता के निधन के बाद सहानुभूति लहर मे जीते थे) से इनकी मुख्य टक्कर है जो दूसरे सपा,राकपा आदि के प्रत्याशी चुनाव मैदान मे हैं वे जातिगत आधार पर वैतरणी पर करना चाहते हैं। जबकि भाकपा प्रत्याशी महेंद्र रावत जाति,धर्म,संप्रदाय से परे गरीब,मेहनतकश -किसान,मजदूर,आम जनता के हितों के संरक्षणार्थ चुनाव मैदान मे उतरे हैं।

कामरेड महेंद्र रावत क्षेत्र मे डिग्री कालेज खुलवा कर छात्रों की पढ़ाई की समस्या के साथ-साथ सिंचाई और रोजगार की समस्या को प्राथमिकता के आधार पर हल करवाना चाहते हैं। 'आम' के किसानों को उनकी फसल का वाजिब हक दिलवाना भी इनकी कार्य सूची मे ऊपर है। यही कारण है कि क्षेत्रीय जनता का उन्हे अभी से व्यापक समर्थन मिल रहा है और उनके प्रतिद्वंदियों के हाथ-पाँव फूल गए हैं। हम उनकी सफलता की मंगलकामना करते हैं।

मलीहाबाद के पड़ौसी क्षेत्र संडीला से कामरेड गंगा राम -एडवोकेट,बाराबंकी से कामरेड योगेन्द्र सिंह भी काफी मजबूत पकड़ के साथ चुनाव मैदान उतरे हैं उन समेत सभी भाकपा/बाम मोर्चे के प्रत्याशियों की शानदार सफलता की हम शुभकामना रखते हैं।




  • Titto Joy thank you sir. if this front is a success left can do something in north....success of sanjja morcha depends on peoples attitude towards good politics. still the people is in the influence of money and mussle power, we cant do anything... cpi dont have anything to loss but the people will miss a golden chance....
    Sunday at 12:06am ·  ·  1

  • Titto Joy 
    UP election candidate list of CPI

कामरेड टीटो जॉय इस समय दमम,सऊदी अरब मे निवास कर रहे हैं और  पेशे से इंजीनियर हैं। देश से इतनी दूर रह कर भी देश की उन्हे चिंता है तभी तो उक्त टिप्पणी उन्होने पंजाब विधानसभा के भाकपा प्रत्याशियों के संदर्भ मे की है। उन्होने उत्तर प्रदेश विधानसभा के भाकपा प्रत्याशियों की सूची भी मुझसे मांग कर फेसबुक पर दी है एवं उनकी सफलता की कामना की है।

टीटो जॉय साहब का अभिमत है कि,धन और बाहुबल के इस युग मे यदि उत्तर भारत के लोग 'अच्छी राजनीति' के इच्छुक हैं तो उन्हे बाम-पंथी मोर्चा को विजयी बनाना चाहिए। वरना हम कुछ नहीं कर सकते हैं ,उन्होने यह भी स्पष्ट कहा है कि इन चुनावो मे सी पी आई को खोने को कुछ नहीं है लेकिन यदि जनता इंनका समर्थन नहीं करती है तो वह सुनहरे मौके को गवा देगी।

फेसबुक के विभिन्न ग्रुप्स मे प्रबुद्ध लोग भाकपा और बाम मोर्चे के इस प्रयास का व्यापक समर्थन कर रहे हैं। परंतु जनता यदि धर्म,जाति,संप्रदाय मे उलझी रहेगी और दूसरे दलों के प्रत्याशियों को जिता कर विधानसभा मे भेज देगी तो भ्रष्टाचार,बेरोजगारी,मंहगाई,उत्पीड़न,शोषण बदस्तूर जारी रहेगा। अतः पढे-लिखे सभी समझदार लोगों का कर्तव्य है कि वे जनता को भाकपा/बाम मोर्चे के प्रत्याशियों को जीतने के बारे मे समझाएँ।

Monday, January 23, 2012

नेताजी सुभाष चंद्र बोस ------ विजय राजबली माथुर








भारतीय स्वाधीनता आंदोलन मे नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम अमर है। उन्होने आजादी दिलाने मे महत्वपूर्ण भूमिका कैसे निभाई देखें इस लिंक मे-


ऊपर के वीडियो मे आपने नेताजी के उद्गार सुने ,नीचे देखिये कुछ और जरूरी बातें-







(चित्र साभार के के यादव जी )

नेता जी ने सर्वप्रथम 1943 मे तिरंगा पोर्ट ब्लेयर मे फहराया था उसी की स्मृति मे भारत सरकार ने यह डाक टिकट जारी किया था।


नेताजी की अपील -

नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने कांग्रेस से अलग होकर 'अग्रगामी दल' अर्थात 'फारवर्ड ब्लाक' बनाते समय भारत मे आजादी के बाद 'समाजवादी व्यवस्था' स्थापित करने की कल्पना की थी। वह रूसी साम्यवादी क्रान्ति से बहुत प्रभावित थे। उनके सपनों का भारत अभी तक नहीं बन पाया है। नेताजी द्वारा स्थापित फारवर्ड ब्लाक उत्तर प्रदेश विधान सभा के इन चुनावों मे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के साथ बाम मोर्चा मे शामिल है। आज नेताजी के जन्म दिवस पर हम सब को यह संकल्प लेना चाहिए कि अपने अमूल्य वोट द्वारा हम बाम पंथ को मजबूत करेंगे जो नेताजी को सच्ची श्रधानजलि भी  होगी।

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23-01-2017 

Saturday, January 21, 2012

उत्तर प्रदेश भाकपा का चुनाव घोषणा पत्र





सब को देखा!      खाया धोखा !!

भा .क .पा .को ! दो अब मौका !!


भ्रष्टाचार से मुक्त पार्टी 

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी 


लखनऊ 21 जनवरी। भ्रष्टाचार, महंगाई और अपराधों पर अंकुश तथा उत्तर प्रदेश एवं उसकी जनता के चौतरफा विकास पर केन्द्रित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का चुनाव घोषणापत्र आज जारी कर दिया गया। घोषणा पत्र में जनता से अपेक्षा की गयी है कि वह 16वीं विधान सभा में भाकपा और अन्य वामपंथी दलों की मजबूत उपस्थिति को दर्ज कराये; बड़ी संख्या में भाकपा प्रत्याशियों को जितायें; साम्प्रदायिक, जातिवादी एवं वंशवादी ताकतों को परास्त करे; भ्रष्ट, अपराधी एवं माफिया सरगनाओं को विधान सभा में पहुंचने से रोके तथा किसान, मजदूर एवं आम आदमी की बर्बादी का कारण - ”आर्थिक नवउदारवाद की नीतियों“ को पीछे धकेले। 

मतदाताओं से अपेक्षा

चुनाव घोषणापत्र की भूमिका में प्रदेश की जनता से वर्तमान चुनाव को स्वतंत्र भारत के इतिहास में एक परिवर्तनकारी, महत्वपूर्ण और निर्णायक चुनाव साबित करने का आह्वान करते हुए अपेक्षा की गयी है कि मतदाता जाति-पांति, धार्मिक और क्षेत्रीय संकीर्णताओं से बाहर निकल कर अपने बदतर हालातों पर गौर करे; चुनावों के दौरान अपनाये जाने वाले भ्रष्ट तौर-तरीकों से प्रभावित न हांे और अपने तथा प्रदेश एवं देश के हितों को ध्यान में रखकर अपने मताधिकार का प्रयोग करे।

गरीब वर्ग को जातियों में बांट कर अमीर वर्ग अपनी सत्ता को बरकरार रखना चाहता है ताकि उसकी ”आम आदमी“ को लूटने वाली आर्थिक नीतियां निर्बाध चलती रहें।
घोषणापत्र में विगत समय में प्रदेश की चारों प्रमुख पार्टियों के शासन कालों का खुलासा करते हुए उन्हें भ्रष्टाचार, बढ़ती महंगाई और बढ़ते अपराधों के साथ-साथ जनता की बदहाली का जिम्मेदार बताया गया है। संप्रग-1 सरकार को वामपंथ के समर्थन का जिक्र करते हुए कहा गया है कि जनता के तमाम तबकों ने इस बात का नोटिस लिया है कि संप्रग-1 सरकार पर वामपंथ के दवाब के कारण जहां एक ओर ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून तथा सूचना के अधिकार का कानून बना था वहीं दूसरी ओर महंगाई पर अंकुश लगा रहा था। राजनीतिक भ्रष्टाचार फल-फूल नहीं सका था और केन्द्र सरकार जनविरोधी आर्थिक नीतियों को आगे बढ़ा नहीं सकी थी। घोषणापत्र में कहा गया है कि लोकसभा में वामपंथ की ताकत में ह्रास का परिणाम आज सार्वजनिक क्षेत्र के विनिवेशीकरण, महंगाई और भ्रष्टाचार के रूप में आम जनता के सामने है।
घोषणापत्र में जनता के तमाम तबकों के बारे में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के दृष्टिकोण को रखा गया है और इसमें समाज के सभी वर्गों और क्षेत्रों के लिए वायदे किये गये हैं।

विद्यार्थियों-नौजवानों हेतु 


दोहरी शिक्षा प्रणाली की समाप्ति, शिक्षा का राष्ट्रीयकरण, रोजगार उन्मुख शिक्षा की निःशुल्क व्यवस्था तथा मनरेगा के समकक्ष योजना शहरी क्षेत्रों के लिए तैयार करने की बात की गयी है तो दूसरी ओर वित्तविहीन विद्यालयों तथा महाविद्यालयों के शिक्षको के वेतन का सरकारी खजाने से भुगतान तथा शिक्षा-मित्रों, मध्यान्ह भोजन रसोईया, आशा बहुओं, आंगनबाड़ी कर्मचारियों की सेवाओं के नियमितीकरण एवं वेतन भुगतान की बात की गयी है।
घोषणापत्र में भाकपा ने महिलाओं के लिए संसद एवं विधान मंडलों में एक तिहाई आरक्षण के कानून की बात को दोहराया गया है तो अल्पसंख्यकों के बारे में रंगनाथ मिश्र आयोग और सच्चर कमेटी की अनुशंसाओं को लागू करने तथा अनुसूचित जाति एवं पिछड़ी जाति के मामलों में धार्मिक भेदभाव की समाप्ति की बात कही गयी है।
महिलाओं एवं मजदूरों हेतु 

घोषणापत्र में किसानों द्वारा खेती में प्रयुक्त सामग्रियों - खाद, बीज, पानी, डीजल आदि की कीमतों में कटौती, 4 प्रतिशत ब्याज पर कर्ज मुहैया कराने तथा कृषि उत्पादों को लाभ पर बेचने की गारंटी की बात शामिल है। ठेका प्रथा एवं आउटसोर्सिंग को समाप्त करने की बात करते हुए मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी के स्तर को जीने लायक मजदूरी के स्तर तक ऊपर उठाने की बात की गयी है तथा असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए कानून बनाने की बात भी दोहराई गयी है।

 यू. पी. हैण्डलूम कारपोरेशन तथा बंद कताई मिलों को चालू करने के साथ-साथ रियायती दर पर बिजली और सूत मुहैया कराने तथा हथकरघा वस्त्रों तथा दस्तकारों के उत्पादों के निर्यात के लिए आधारभूत ढांचा विकसित करने की बात कही गयी है। बेरोजगार हुए मजदूरों का जिक्र करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र एवं सहकारी क्षेत्र के बंद पड़े कारखानों को दुबारा चालू करने की बात की गयी है। घोषणापत्र में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं की निःशुल्क व्यवस्था तथा सभी अस्पतालों में सुविधाओं को बढ़ाने की बात की गयी है।

संसदीय लोकतन्त्र की मजबूती 

भाकपा ने विधान सभा एवं विधान परिषद की साल भर में कम से कम 100 दिनों तक बैठक के आयोजन को सुनिश्चित करने की बात कहते हुए जोर दिया है कि जनमानस पर व्यापक प्रभाव डालने वाले नीतिगत फैसलों पर विधायिका की मुहर को आवश्यक किया जायेगा। साथ ही भ्रष्टाचार में डूबी सांसद एवं विधायक निधियों को समाप्त करने पर बल दिया गया है।
घोषणापत्र में आवास के अधिकार को संवैधानिक अधिकार बनाने तथा पिछली सरकारों द्वारा सरमायेदारों को सौंपी गयी सार्वजनिक एवं सहकारी क्षेत्र की परिसम्पत्तियों का राष्ट्रीयकरण करने, वृद्धावस्था, विधवा एवं विकलांग पेंशन को सभी पात्र व्यक्तियों को मुहैया कराना तथा इन योजनाओं में पात्रता की परिभाषा बदलने की बात की गयी है।

भ्रष्टाचार उन्मूलन 

1-प्रभावी लोकपाल के प्रति भाकपा की प्रतिबद्धता प्रकट की गई है। 

2-जांच से लेकर मुकदमा चलाने तक सी बी आई सहित सभी जांच एजेंसियों को कार्यगत स्वतन्त्रता मुहैया करना। 

3-सी बी आई की तरह एक स्वतंत्र जांच एजेंसी का प्रदेश स्तर पर गठन। 

4-सभी स्तरों पर भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्ती से त्वरित कार्यवाही। 

5-भ्रष्टाचार के मुकदमों के त्वरित निस्तारण हेतु विशेष न्यायालयों का गठन। 

6-जन-धन के सभी उपयोगों की स्वतंत्र एजेंसी से आदित आवश्यक करना। 

7-सामाजिक कल्याण योजनाओं के सोशल आदित की व्यवस्था। 

8-राजनीतिक भ्रष्टाचार की जड़ 'सांसद एवं विधायक निधि' को समाप्त करना। 

Wednesday, January 18, 2012

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव मे भाकपा गंभीर

प्रथम आम चुनावों के बाद भारतीय संसद मे भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी मुख्य विपक्षी दल थी। किन्तु उत्तरी भारत मे किसान-मजदूर आंदोलनों के कमजोर पड़ने से पार्टी भी कमजोर पड़ गई। आम लोगों की रहनुमा पार्टी के कमजोर पड़ने का परिणाम यह रहा  कि मंहगाई और भ्रष्टाचार का बोलबाला हो गया और आम जनता का जीना दूभर हो गया। 2012 के विधान सभा चुनावों मे भाकपा ने चार अन्य दलों से मिल कर एक मोर्चा बना लिया है और बड़ी गंभीरता से चुनावों मे उतर रही है। भाकपा द्वारा जारी बयान से यह बात बिलकुल स्पष्ट हो जाती है- 
    लखनऊ 18 जनवरी 2012। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने विधान सभा चुनाव हेतु अपने प्रत्याशियों की तीसरी सूची जारी कर दी। इस सूची में भाकपा ने 9 प्रत्याशी घोषित किये हैं। इस तरह भाकपा ने अब तक कुल 53 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतार दिये हैं।
    सूची जारी करते हुये राज्य सचिव डा. गिरीश ने बताया कि संवेदनशील, संघर्षशील एवं सशक्त वामपंथी विकल्प के निर्माण में अगुवा भूमिका निभा रही भाकपा किसान-मजदूरों और आम आदमी के ज्वलंत सवालों पर चुनाव अभियान चला रही है। भाकपा ने भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोजगारी, किसानों की जमीनों के जबरिया अधिग्रहण और गरीबों के लिये चल रही विभिन्न सरकारी योजनाओं में लूट खसोट को उजागर कर पूंजीवादी पार्टियों, जातिवादी और साम्प्रदायिक शक्तियों को बेनकाब करने का बीड़ा उठाया है। भाकपा को इस अभियान में आम जनता का व्यापक सहयोग और समर्थन मिल रहा है।
    आज जारी सूची निम्न प्रकार है -

1 -    बाराबंकी              योगेन्द्र सिंह
2 -    निजामाबाद         राम सूरत यादव
3 -    बरहज                 काशी नाथ कुशवाहा
4 -    बांदा                   सौंखी लाल
5 -    संडीला                गंगा राम एडवोकेट
6 -    मलिहाबाद          महेन्द्र रावत
7 -    कोल                  राजेन्द्र कुमार माहेश्वरी
8 -    बेहट                  धर्म सिंह
9 -    शाहजहांपुर        मोहम्मद सलीम

आर्थिक सहयोग की अपील-


भकपा गरीब किसानों -मजदूरों की पार्टी है जो आम जनता के हितों के लिए बराबर संघर्स करती रही है और कभी भी उद्योगपतियों एवं कारपोरेट घरानों के आगे हाथ नहीं फैलाती है। पार्टी के सदस्य ,सहयोगी और समर्थक ही पार्टी को आर्थिक सहयोग प्रदान करते हैं अतः पार्टी आम जनता से भी आर्थिक सहयोग की अपील करती है।धनराशि भेजने के लिए पार्टी के साथी एवं सहयोगी उसे सीधे यूनियन बैंक आफ इंडिया, क्लार्कस अवध शाखा लखनऊ के खाता संख्या 353302010017252 में जमा कर सकते हैं अथवा आरटीजीएस अथवा एनईएफटी के जरिये इस खाते में जमा करने के लिए अपने बैंक में आवेदन कर सकते हैं। आरटीजीएस/एनईएफटी के लिए खाता संख्या यही रहेगा, खाते के नाम की जगह ”कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया, यू. पी. स्टेट कौंसिल“ तथा पता 22 - कैसरबाग, लखनऊ लिखे तथा बैंक के आईएफएससी कोड UBIN0535338 का जिक्र करें।
हस्ताक्षर------ 
(डा. गिरीश)
राज्य सचिव

लखनऊ मे भाकपा प्रत्याशी -

लखनऊ जिले की मलीहाबाद (सु) सीट से भकपा प्रत्याशी कामरेड महेंद्र रावत एक कर्मठ कार्यकर्ता हैं। इससे पूर्व के कई चुनावों मे वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप मे महोना विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके हैं। इस बार पार्टी के आदेश पर वह मलीहाबाद क्षेत्र से पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के रूप मे चुनाव लड़ रहे हैं। इस क्षेत्र से पहले भी पार्टी प्रत्याशी की जीत हो चुकी है। पूरी लखनऊ जिला पार्टी अपनी इस पुरानी सीट को वापिस जीतने हेतु कामरेड महेंद्र रावत के लिए तहे दिल से जुट गई है। नामांकन प्रक्रिया के बाद चुनाव अभियान बाकायदा चलाया जाएगा किन्तु क्षेत्रीय जनता की ओर से पार्टी प्रत्याशी को व्यापक समर्थन अभी से मिलना शुरू हो गया है। लखनऊ जिले ही नहीं पूरे उत्तर प्रदेश के लिए इस सीट पर पार्टी प्रत्याशी की जीत का व्यापक प्रभाव पड़ेगा। हम कामरेड महेंद्र रावत और सभी पार्टी प्रत्याशियों की जीत की मंगलकामना करते हैं। 


Monday, January 16, 2012

यूरोप से श्रेष्ठ था भारत

सच्च मे भारत कभी विश्व गुरु ही था ,नीचे के स्कैन को डबल क्लिक कर देखें-

हिंदुस्तान-6 जनवरी2012 
जब यूरोप के लोग नग्न रहते थे और पेड़ों पर शरण लेते थे हमारे भारत देश मे ज्ञान-विज्ञान का काफी विस्तार हो चुका था। उपरोक्त विवरण हमे बताता है कि लार्ड मैकाले की शिक्षा-व्यवस्था भारत के इसी ज्ञान-विज्ञान को गौड़ बनाने का उपक्रम थी। हमारे आज के विद्वान इस आधुनिक शिक्षा का गुण गाँन  करते नहीं थकते हैं लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि जर्मनी के मैक्स मूलर साहब हमारे देश मे आकर 30 वर्ष रह कर पहले 'संस्कृत' सीख कर फिर मूल पांडु लिपियों को लेकर चले गए। उन्हीं के जर्मन अनुवादों से भौतिकी का परमाणु-विज्ञान और 'दर्शन' का मार्क्स वाद सृजित हुआ जिन्हें यूरोपीय सिद्धान्त कहा गया। वस्तुतः यह सब हमारे अतीत के ज्ञान का ही प्रतिफल था जिसका श्रेय बड़ी चालाकी से यूरोप के गोरे लोगों ने ले लिया।

उपरोक्त विवरण के निष्कर्ष के  अनुसार ब्रिटिश साम्राज्यवादियो ने जान-बूझ कर हमारे ज्ञान को कुचला और अपनी श्रेष्ठता नई शिक्षा-व्यवस्था के माध्यम से स्थापित की। विकी पीडिया भक्त बड़े पत्रकार पाश्चात्य ज्ञान के सहारे अपनी विद्वता का प्रदर्शन करते नहीं थकते हैं । इतिहास पर नजर डालें तो हम पाते हैं कि पृथ्वी राज चौहान द्वारा हारे हुये मोहम्मद गौरी को बख्श देने से ही हमारी परतन्त्र्ता की शुरुआत हुई थी क्योंकि बाद मे इसी गौरी ने हमारे देश मे 'गौर वंश' की स्थापना करके विदेशी शासन का सूत्रपात किया था। इन विदेशी शासकों ने केवल तलवार के बल पर नहीं बल्कि 'सांस्कृतिक हमले'द्वारा भी भारत को राजनीतिक के साथ-साथ 'मानसिक गुलाम' भी बनाया। शासकों की शह पर धन व सत्ता के लोलुप भारतीय विद्वानों ने अपने निजी स्वार्थ और शासकों के हित मे 'कुरान' की तर्ज पर 'पुराणों' की रचना की जिनके माध्यम से भारतीय प्राचीन ज्ञान-विज्ञान को विकृत किया गया जो आज तक भी चल रहा है और यही अज्ञान धार्मिकता का जामा पहन कर बहुसंख्यक जनता के सिर चढ़ कर बोल रहा है। पढे-लिखे,खाते-पीते लोग ज्यादा अज्ञान -अंध विश्वास फैलाते हैं जिससे उनका शोषण-उत्पीड़न बदस्तूर जारी रह सके। अल्पसंख्यक समृद्ध वर्ग बहुसंख्यक शोषित वर्ग को दबाये रखने हेतु 'सत्य,ज्ञान-विज्ञान' की बात करने वालों को धर्म विरोधी कह कर उपहास  उड़ाता है।

दूसरी तरफ शोषित,उत्पीड़ित जनता के रहनुमा भी शोषकों द्वारा प्रचारित कुरीतियों को ही धर्म मानते हैं और धर्म की वास्तविकता को न खुद समझते हैं न ही अपनी जनता को समझाना चाहते हैं। नतीजा यह होता है कि शोशंणकारी शक्तियाँ धर्म के नाम पर गुमराह करके जनता को उल्टे उस्तरे से मूंढ़ती रहती हैं। 1810 से पूर्व जो भारत लगातार गुलामी मे गुमराह रहने के बावजूद यूरोप से आगे था ब्रिटिश साम्राज्यवादियों के कुचक्र के कारण अब यूरोप से पिछड़ चुका है।

यदि हम भारत को अपना प्राचीन गौरव पुनः दिलाना चाहते हैं तो गुलामी के 900 या 1100 वर्षों के दौरान हमारी संस्कृति के साथ किए गए षड्यंत्र को पहचान कर 'पौराणिक गाथाओं' के भंवर जाल से मुक्त कराना होगा और पुनः वेदिक मूल्यों को जो समष्टि अर्थात समानता पर आधारित थे स्थापित करना होगा, जाति-धर्म ,संप्रदाय के भेद और विषमता को मिटाना होगा। हमे पहचानना होगा साम्राज्यवादियों की एजेंट शक्तियों को और उनसे बचना होगा । हम ऐसा कर सकते हैं यदि 'मनसा-वाचा-कर्मणा'  समस्त देशवासियों को एक मान कर चले-फूट और अलगाव वाद के हिमाईतियों को शिकस्त दे सकें। अभी उत्तर-प्रदेश आदि पाँच राज्यों की जनता के समक्ष चुनाव यह अवसर प्रदान कर रहे हैं। निर्णय जनता को ही लेना है। 

Thursday, January 12, 2012

विवेकानंद जयंती -राष्ट्रीय युवा दिवस





आज स्वामी विवेकानंद जी की जयंती पर आपने उपरोक्त Zero पर गाना सुना जिस Zero पर स्वामी जी ने शिकागो के सर्व-धर्म सम्मेलन मे उद्बोधन किया था और विश्व मे अमर हो गए। उनके विचारों पर गत वर्ष मैंने यह लिखा था जो आज भी उतना ही चस्पा होता है ,पुनः देख सकते हैं-

http://krantiswar.blogspot.com/2011/01/blog-post_12.html

स्वामी विवेकानंद ने विशेषकर युवाओं के उत्थान पर अत्यधिक बल दिया था,इत्तिफ़ाक से 12 जनवरी को ही 'राष्ट्रीय युवा दिवस' भी घोषित किया गया है जो स्वामी जी का जन्मदिवस भी है। उन्होने भारतीय युवकों से कहा था-'उठो जागो और महान बनो ' - यह नारा आज भी युवकों के लिए उतना ही दुरुस्त है जितना तब था। युवकों का दायित्व है कि वे स्वामी जी के सपनों का वह भारत बनाएँ जिसमे हर निर्धन की झोंपड़ी मे खुशियों के दीप जल सकें। 

Wednesday, January 11, 2012

1965 के योद्धा शास्त्री जी का पुण्य तिथि पर स्मरण





गत वर्ष शास्त्री जी की पुण्य-तिथि पर मैंने उनके प्रधान मंत्रित्व तक पहुँचने का विवेचन किया था-

http://krantiswar.blogspot.com/2011/01/blog-post_10.html



जैसा की आपने ऊपर के वीडीयो  मे गाने मे देखा/ सुना हमारे देश के किसानों की खुशहाली ही समस्त देशवासियों के लिए खुशहाली होती है। शास्त्री जी ने 1965 के भारत पाक संघर्ष के दौरान  अमरीकी PL -480 को ठुकरा कर एक वक्त उपवास की अपील की और जनता ने उसे सिर माथे पर लिया। उपरोक्त स्कैन मे उनकी ईमानदारी और कर्मठता का जो विवरण है वैसे ही नेताओं को यदि जनता आज भी चुने तो देश फिर खुशहाल हो सकता है। 

Tuesday, January 10, 2012

यू पी चुनावों मे बामपंथ की भूमिका


उत्तर प्रदेश विधान सभा के चुनावों मे भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी ने दूसरे बामपंथी दलों के साथ मोर्चे के रूप मे चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है और अपने कुल 55 प्रत्याशी खड़े किए हैं। उत्तर प्रदेश के मत-दाताओं से विनम्र अनुरोध है की जहां कहीं भी बाम-पंथी और जनता दल (से) के प्रत्याशी हैं उन्हें भारी बहुमत से चुनकर विधान सभा मे भेजें जिससे कि आम जनता की आवाज को सदन के भीतर बुलंद किया जा सके।  


वामपंथी दलों तथा जनता दल (सेकुलर) की प्रेस वार्ता

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), आल इंडिया फारवर्ड ब्लाक, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी तथा जनता दल (सेक्यूलर) के राज्य नेतृत्व ने 9 जनवरी को लखनऊ में प्रेस वार्ता में निम्नलिखित बयान जारी किया:
    ”उत्तर प्रदेश में विधान सभा के चुनावों की घोषणा हो चुकी है। इस चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), आल इंडिया फारवर्ड ब्लाक, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी तथा जनता दल (सेकुलर) ने मंहगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार आदि के साथ-साथ आम जनता के हित में वैकल्पिक आर्थिक नीतियों को चुनावी मुद्दा बनाने का फैसला किया है।
प्रदेश में चुनाव लड़ रही बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस तथा अन्य पार्टियों के बीच आर्थिक नीतियों पर आम सहमति है। जिनके कारण मंहगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार एवं अपराध सभी बढ़ रहे हैं। वामपंथी वैकल्पिक आर्थिक नीतियां ही आम जनता को राहत दिला सकती हैं, जिसके लिए देश एवं प्रदेश के स्तर पर लगातार ये दल संघर्ष करते रहे हैं।
वामपंथी दल और जनता दल (सेक्यूलर) प्रदेश में साम्प्रदायिक एवं जातिवादी राजनीति करने वाली शक्तियों के खिलाफ लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष एवं वामपंथी राजनीति को जनता के मध्य ले जाने का प्रयास करेंगी और आम जनता के संघर्षों को आगे बढ़ायेंगी।
वामपंथी दल और जनता दल (सेकुलर) ने आपस में तालमेल कर एक दूसरे के खिलाफ न लड़ने का फैसला किया हैं। ये दल आपस में मिल-जुल कर विधान सभा चुनाव लडेंगे तथा एक दूसरे के प्रत्याशियों को सफल बनाने में हर तरह से योगदान करेंगे।“


भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी    भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)    आल इंडिया फारवर्ड ब्लाक    रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी   , जनता दल (सेकुलर)


Saturday, January 7, 2012

चुनावी तमाशा और भ्रष्टाचार का रोना






(सभी  स्कैन कापियाँ 04 जनवरी 2012 को हिंदुस्तान ,लखनऊ मे प्राकाशित समाचारों  की हैं )
1947 मे ब्रिटिश साम्राज्यवाद से तकनीकी आजादी प्राप्त करने के बाद भी हमारे देश की विभिन्न सरकारें शुरू मे ब्रिटेन फिर अमेरिकी सरकारों से प्रभावित होती रही हैं। किन्तु फिर भी नेहरू जी की दूरदर्शिता थी जो उन्होने यूगोस्लाविया के मार्शल टीटो और मिस्र के कर्नल अब्दुल गामाँल नासर से मिल कर 'गुट निरपेर्क्ष' नामक एक गुट बना कर कुछ हद तक स्वतंत्र निर्णय  लिए। किन्तु अमेरिकी CIA शुरू से ही सरकार मे घुसपैठ मचाती रही है। इन्दिरा जी के मंत्रिमंडल मे मोरार जी देसाई को उसने अपना एजेंट बताया और माईकल हर्षमेन नामक पत्रकार ने इसका भण्डा-फोड़ किया। तब तक मोरार जी प्रधानमंत्री भी रह चुके थे उन्होने डॉ सुब्रमनियम स्वामी के सुझाव पर अमेरिकी अदालत मे हर्षमेन के विरुद्ध मुकदमा चलाया और केस हार गए।

नेहरू जी के मंत्रीमंडल मे डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी बानिज्य मंत्री थे जिन्होने 'मिश्रित अर्थ-व्यवस्था' का सूत्र-पात किया था। वह आर एस एस से संबन्धित थे और जब उन्हे अपनी नीतियो को लागू करने मे दिक्कत हुई तो उन्होने स्तीफ़ा देकर 'जनसंघ' बना लिया जो आर एस एस का राजनीतिक विंग था। 1925 मे आर एस एस की स्थापना ब्रिटिश साम्राज्यवाद को सहयोग देने एवं 1925 मे ही स्थापित कम्यूनिस्ट पार्टी के आजादी के आंदोलन मे क्रांतिकारी संघर्ष को विफल करने हेतु की गई थी।

1977 मे यह जनसंघ 'जनता पार्टी' मे विलय हो गया था। अतः उससे अलग होकर 1980 मे अटल/आडवाणी ने 'भाजपा' की स्थापना की जिसने पहले 'गांधीवादी समाजवाद' का नारा उछाल कर जनता को पक्ष मे करना चाहा और असफल रहने पर 'राम मंदिर' आंदोलन चला कर 'मण्डल' की सिफ़ारिशों पर लागू आरक्षण को धता बता कर 1991 मे यू पी मे अपने बहुमत की सरकार बना ली। फिर दूसरी पार्टियों के सहयोग से 1998 से 2004 तक केंद्र की सत्ता अमेरिकी साम्राज्यवाद के हित मे चलाई। पोखरण विस्फोट की सूचना बाकायदा अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन साहब को भारतीय प्रधानमंत्री बाजपाई साहब ने लिखित मे भेजी।

वर्तमान मनमोहन सरकार भी अमेरिकी साम्राज्यवाद के ही हित मे कार्य कर रही है। जनता के दृष्टिकोण से भाजपा/कांग्रेस की नीतियाँ एक ही हैं। विदेशी शक्तियाँ भारत मे भी ब्रिटेन और अमेरिका की भांति अलग-अलग लेबल वाली दो समान पार्टियों की मौजूदगी चाहती हैं। इसलिए अमेरिका ने पहले मानेका गांधी फिर कांशी राम को आगे करने के प्रयास किए थे। अब अभी हाल मे अन्ना हज़ारे को आगे किया गया था जिन्हें आर एस एस/भाजपा और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का समान समर्थन प्राप्त था।

गरीब-मेहनत कश जनता के अन्ना के छलावे मे न आने के कारण केवल साधन-सम्पन्न और खाते-पीते मद-मस्त शोषक अमीरों के सहारे अन्ना को जन-नेता नहीं बनाया जा सका। इसी कारण अमेरिका को उनसे हाथ खींचना पड़ा। इसका दूसरा कारण यह था कि, CIA का एक सहयोगी संगठन ISCON साईबेरिया की अदालत मे उसके संस्थापक द्वारा व्याख्यायित 'गीता'  (जो योगीराज श्री कृष्ण के उपदेशों से भिन्न है)पर प्रतिबंध का सामना कर रहा था। अमेरिका ने अपने भारतीय संपर्कों का लाभ उठा कर संसद मे इसका शोर मचवा दिया । सभी दलों के लोगों ने(जिनमे सपा,राजद,बसपा भी शामिल हैं) बगैर कुछ भी समझे-बूझे सरकार पर दबाव बनाया कि वह रूसी अदालत के संभावित निर्णय को बद्ल् वाये और हमारे विदेशमंत्री कृष्णा साहब ने रूसी राजदूत को बुला कर समझा दिया भारत की जनता रूस के खिलाफ हो जाएगी यदि वहाँ की सरकार ने अपनी याचिका वापिस न ली तो। रूसी प्रधानमंत्री अपने देश की जनता द्वारा चुनाव-धांधली के असंतोष का सामना कर रहे थे उन्होने याचिका की कमजोर पैरवी करवाई और अदालत ने सरकारी याचिका खारिज कर दी। इस प्रकार अमेरिकी साम्राज्यवाद के मंसूबों को हमारे देश की सरकार ने यहाँ के विपक्षी दलों के सहयोग से पूरा कर दिया।

आगामी विधान सभा चुनावों मे अपनी आर्थिक  स्थिति सुदृढ़ करने हेतु भाजपा ने बसपा सरकार के भ्रष्टाचार मे निष्कासित नेताओं को अपनाना शुरू कर दिया जैसा कि उपरोक्त स्कैन कापियों से स्पष्ट होता है।बाबरी मस्जिद कांड के समय भाजपा के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह जी ने बाबू सिंह  कुशवाहा को भाजपा मे शामिल करने को करोड़ों की डील एक प्रेस कान्फरेंस मे बताया है।  केरल,पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा के अपने शासन काल मे कम्युनिस्टों ने आम जनता के हितों का ध्यान रखा और वे किसी भ्रष्टाचार मे नहीं फंसे। पंजाब ,उत्तर प्रदेश आदि के इन चुनावों मे जहां जितने भी 'बामपंथी प्रत्याशी' हैं उन्हें जितवाने का प्रयास किया जाये तो चुनावों के बाद भ्रष्टाचार पर अंकुश लगने  की संभावना रहेगी वर्ना तो ये चुनाव भी तमाशा ही साबित होंगे और भ्रष्टाचार का रोना वैसे ही रोया जाता रहेगा। 







   
                             (हिंदुस्तान,लखनऊ के 07 जनवरी 2012 अंक मे प्रकाशित)


उपरोक्त दोनों स्कैन कापियों को पढ़ने के बाद अन्ना भक्त ब्लागर्स जिनहोने अपने-अपने ब्लाग्स मे अन्ना और उनकी टीम की तारीफ़ों के पुल बांधे थे और उनकी पोल खोलने वालों को कोसा था अब क्या कहना चाहेंगे?'आज तक डाट काम ' मे साहिल जोशी साहब ने लिखा है कि इस संबंध मे प्रश्न पूछने पर अन्ना प्रेस कान्फरेंस छोड़ कर भाग खड़े हुये थे और उसे सब ने लाईव टेलीकास्ट मे देखा था।

शांतिभूषण स्टांप घोटाला मे फंसे हैं तो उनके पुत्र प्रशांत काश्मीर को देश से हटाना चाहते हैं और खुद उन्होने नियम विरुद्ध हिमाचल प्रदेश मे भाजपा सरकार से चाय बागान लिए हैं और नोयडा मे बसपा सरकार से जमीन ले चुके हैं -ये दोनों दल अन्ना के गीत गा रहे थे। किरण बेदी हवाई टिकटों के गोलमाल मे पकड़ी जा चुकी हैं और अरविंद केजरीवाल 09 लाख रुपया अवैध्य वेतन ले चुके थे जिसे प्रधानमंत्री कार्यालय मे अंडर प्रोटेस्ट वापिस किया है। खुद अन्ना को 'भाजपा/शिव सेना' सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोप मर जेल भेजा था। महाराष्ट्र की जनता ने अन्ना को आईना साफ-साफ दिखा दिया है। अन्न-भक्त ब्लागर्स/फेसबुकिए अपना चेहरा कब आईने मे देखेंगे?                                                         *                 *                *
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महत्वपूर्ण सूचना -

अन्ना-भक्त ब्लागर्स ने अपने -अपने ब्लाग्स मे टिप्पणियॉ के संबंध मे लिखा है कि जो लोग टिप्पणियों पर निर्भर नहीं करते हैं वे अपने ब्लाग्स मे टिप्पणी बाक्स बंद क्यों नहीं कर देते?उनकी चुनौती सिरोधार्य करके आज से इस ब्लाग मे टिप्पणी बाक्स बंद किया जा रहा है। 

Thursday, January 5, 2012

विधानसभा चुनाव और बाम-पंथ


सन1942 ई .के भारत छोड़ो आंदोलन मे मात्र 17 वर्ष की आयु मे सक्रिय भाग लेने वाले ग्राम -कांकेरा,पोस्ट-अकबरपुर,जिला-मथुरा-281406 के मूल निवासी विजय आर्य सिद्धान्त शास्त्री जी आर्यप्रतिनिधि सभा से 26 वर्ष एक माह सम्बद्ध रह कर फिर स्वतंत्र रूप से स्वामी दयानन्द'सरस्वती' की नीतियों तथा उपदेशों के प्रचारक रहे हैं उनकी यह देश-भक्तिपूर्ण रचना आप भी देखें-


सुखदाई        सत         युग               लाना है। 
कलि         काल      कलंक        मिटाना      है। 
नित     प्रातः    प्रभु       गुण              गायें गे । 
सिर    मात -पिता        को                नायें  गे। 
शुचि संध्या यज्ञ रचाएंगे। सुंदर सुगंध फैलाएँगे। 
                                    दुर्गुण दुर्गंध मिटाना है। । 1 । । 


कुल क्रूर कुरीति तोड़ेंगे,पापों का भण्डा  फोड़ेंगे । 
सब दुष्कर्मों को छोड़ेंगे,सत कर्म से नाता जोड़ेंगे। 
                                  सबको यह पाठ पढ़ाना है। । 2 । । 


कभी मदिरा मांस न खाएँगे,फल फूल अन्न ही पाएंगे। 
भूले भी कुसंग न जाएँगे,मिल मेल मिलाप बढ़ाएँगे। 
                                   सत प्रेम की गंग बहाना है। । 3 । । 


जो निर्बल निर्धन भाई है,हरिजन मुस्लिम ईसाई है। 
इस देश के सभी सिपाही हैं,सब एक राह के राही है। 
                                    समता का सूर्य  उगाना है। । 4 । । 


वेदों  को पढ़ें पढ़ाएंगे ,यज्ञों को      करें   कराएंगे।  
ताप दान शील अपनाएँगे,ऋषियों के नियम निभाएंगे। 
                                   बन 'विजय' वीर दिखलाना है। । 5 । ।   


सर्व-प्रथम आचार्य श्री राम शर्मा ने गायत्री परिवार बना कर (जो अब उनके पुत्र और दामाद के बीच दान के बँटवारे को लेकर विवाद मे है) आर्यसमाज और इसके वेदिक सिद्धांतों पर जोरदार हमला बोला एवं पुनः ढोंग-पाखंड को चतुर्दिक फैला दिया। उसके बाद विभिन्न 'बापू' ,'स्वामी' आते गए और पाखंड का जैकारा लगवाते रहे। 1925 मे आर एस एस के गठन के बाद तो द्रुत गति से स्वामी दयानन्द के बताए मार्ग को ध्वस्त किया गया। इस सांप्रदायिक /साम्राज्यवादी/आलोकतांत्रिक संगठन ने 'आर्यसमाज' मे प्रबंध के स्तर पर भी घुस कर उसे मूल सिद्धांतों से भटका दिया। इसलिए हो सकता है कि कहीं-कहीं आर्यसमाज के मंच से आर एस एस ने अपनी बात कहला दी हो । लेकिन क्यों?स्वामी सहजानन्द 'सरस्वती' और गेंदा लाल दीक्षित सरीखे वरिष्ठ आर्यसमजी नेता जहां क्रांतिकारी कम्युनिस्ट रहे हों वहाँ कम्युनिस्टों का आर्यसमाज को समर्थन न देना ही आर एस एस के लिए मैदान खुला छोड़ देने के कारण ही तो। सी पी एम ,पश्चिम बंगाल से संबन्धित एक विद्वान खुल कर ढ़ोंगी -पाखंडी लोगों का समर्थन और आर्यसमाज तथा स्वामी दयानन्द की नाहक निंदा करते हैं-

मुरारीबापू की कथा में अनेक ऐसी बातें आती हैं जो समानतावादी और विवेकपूर्ण विमर्श को बढ़ावा देती हैं। कायदे से मुरारीबापू को मासकल्चर के अंग के रूप में पढ़ें,वे मासकल्चर के अंग के रूप में भारतीय पाठ बना रहे हैं। मुरारीबापू का मानना है विवेक चार प्रकार से मिलता है। 



एक जमाने में दयानन्द सरस्वती और आर्यसमाज ने मुसलमानों और ईसाइयों के प्रति तीखी नफरत का इजहार किया था। वे इन दोनों को राष्ट्रीय एकीकरण का हिस्सा नहीं मानते थे। भारत में राष्ट्रीय एकीकरण में अल्पसंख्यकों को रखना होगा। विकास में भी उन्हें शामिल करना होगा। वरना समाज अपंग बनेगा।भाजपा को अपनी अल्पसंख्यक विरोधी भावनाओं को त्यागकर राष्ट्रीय एकता के निर्माण में सहयोग करना चाहिए।







पुराण की एक कथा है। देवताओं को पता लगा कि पृथ्वीलोक में सहजानंद नामक एक ऐसे अनूठे साधक रहते हैं, जो भक्ति साधना में कुछ समय लगाने के बाद अधिकांश समय लोगों की सेवा करने, बीमारों का उपचार करने, बच्चों को शिक्षा देने जैसे परोपकार के काम में बिताते हैं। राग, द्वेष, लोभ, अहंकार, आसक्ति जैसे दुर्गुण उन्हें छू भी नहीं पाए हैं। 


लाउडस्पीकरसे आवाजें घर पर सुनायी दे रहीं थीं एक वेद-प्रचारक महोदय गा रहे थे-

(यह भजन पिछले वर्ष हमारे घर के समीप हो रहे एक आर्यसमजी कार्यक्रम मे जनता को सुनाया गया था,जिसका अर्थ है कि अभी भी आर्यसमाज मे वास्तविक 'सत्य' बोलने वाले लोग हैं)


दौलत के दीवानों उस दिन को पहचानों ;
जिस दिन दुनिया से खाली हाथ चलोगे..
चले दरबार चलोगे....
ऊंचे-ऊंचे महल अटारे एक दिन छूट जायेंगे सारे ;
सोने-चांदी तुम्हारे बक्सों में धरे रह जायेंगे...
जिस दिन दुनिया से खाली हाथ चलोगे...
चले दरबार चलोगे.......
दो गज कपडा तन की लाज बचायेगा ;
बाकी सब यहाँ पड़ा रह जाएगा......
चार के कन्धों पर चलोगे..
.चले दरबार चलोगे......
पत्थर की पूजा न छोडी-प्यार से नाता तोड़ दिया...
मंदिर जाना न छोड़ा -माता-पिता से नाता तोड़ दिया...
बेटे ने बूढ़ी माता से नाता तोड़ दिया ;
किसी ने बूढ़े पिता का सिर फोड़ दिया....
पत्थर की पूजा न छोडी ;मंदिर जाना न छोड़ा....
दया धर्म कर्म के रिश्ते छूट रहे;
माता-पिता से नाता छोड़ दिया....
उल्टी सीधी वाणी बोलकर दिल तोड़ दिया;
बूढ़ी माता से नाता तोड़ दिया.....
पत्थर की पूजा न छोडी मंदिर जाना न छोड़ा 
बूढ़ी माँ का दिल तोड़ दिया.....
वे क्या जाने जिसने प्रभु गुण गाया नहीं ;
वेद-शास्त्रों से जिसका नाता नहीं..
जिसने घर हवन कराया नहीं...
गुरुडम में फंस कर जिसने सत्य से मुंह मोड़ लिया ;
पाखण्ड को ओढ़ लिया ...
इसी कारण भारत देश गुलाम हुआ ...
भाई-भाई का आपस में घोर संग्राम हुआ ;
मंदिर ..मस्जिद तोड़े संग्राम हुआ.....
बुत परस्ती में लगा हुआ देश बुरी तरह गुलाम हुआ ;
देश मेरा बदनाम हुआ.....

कानों में आवाजें आ रहीं थीं कागज पर उतारा और आपको लिख दिया ;लेकिन सब बेकार है .हमारे फेसबुक / ब्लाग जगत में जहाँ सभी बुद्धीजीवी है -  पाखंड छोड़ने को तैयार नहीं तो आम जनता तो अबोध  है उससे क्या उम्मीद की जाये?


मेरठ सी पी एम से संबन्धित एक ब्लागर साहब तो मेरे पाखंड/ढोंग पर प्रहार का उपहास उड़ाने मे ही गर्व का अनुभव करते हैं जिस प्रकार कि,'गर्व से हिन्दू'होने का खुला ऐलान करने वाला सरकारी विभाग रेलवे का भ्रष्ट सर्जन। हालांकि खुलासा होने के बाद अब उस डॉ ने अपने प्रोफाईल से-'हिन्दी,हिन्दू,हिंदुस्तान'का स्लोगन हटा लिया है और इसी नाम का एक अलग ब्लाग खोल लिया है। एक तरफ सी पी एम यू पी मे चार दलों के बाम मोर्चा मे भी शामिल है दूसरी तरफ सी पी एम के लोग भाजपा/अन्ना के सर्वाधिकारवादी लोकपाल का भी समर्थन कर रहे हैं। 


आगामी माह होने वाले चुनावों मे यदि बाम मोर्चा को यू पी मे जनता के बीच अपनी स्थिति सुदृढ़ करनी है तो सन्त कबीर,स्वामी दयानन्द सरस्वती और स्वामी विवेकानंद के विचारों और दृष्टिकोण का सहारा लेकर ही भाजपा/ आर एस एस के मंसूबों को ध्वस्त किया जा सकता है। अब तक प्रचलित नीति का परिणाम यह हुआ है कि भाजपा आदि प्रतिगामी शक्तियाँ पूर्वज महापुरुषों के वचनों को तोड़-मरोड़ कर गलत-सलत व्याख्या प्रस्तुत करके जनता को मूर्ख बनाने मे कामयाब हो जाते हैं। उनके लिए धर्म का मैदान खुला छोडने की नीति ही वह मुख्य कारण है कि वे गलत होते हुये भी सफल रहते हैं और जनता का भारी अहित होता रहता है। 


संसदीय लोकतन्त्र मे धर्म (गलत रूप मे प्रचलित),जाति,संप्रदाय के नाम पर मतदाताओं को बहका कर पूंजीवादी दल बहुमत हासिल कर लेते हैं। कम्युनिस्ट पार्टियां और बाम-पंथी दल भी उसी गलत प्रचलित स्वरूप को धर्म मानने के कारण धर्म का विरोध करके जनता से कट जाते हैं और जनता का वोट हासिल नहीं कर पाते हैं। यदि 'धर्म' की वास्तविक व्याख्या प्रस्तुत कर महापुरुषों के हवाले से जनता को समझाया जाए तो ढोंगियों की पोल खुल सकेगी और वे विफल हो जाएँगे। परंतु दिग्गज बाम-पंथी पुराणो और ढोंगियों का समर्थन व्यक्त करके क्या भाजपा के ही मंसूबों को नहीं पूरा कर रहे हैं?


       *                *                 *

भाकपा ने प्रत्याशियों की दूसरी सूची जारी की

अगली विधान सभा में मजबूत उपस्थिति दर्ज करेगी भाकपा
लखनऊ 5 जनवरी। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने विधान सभा चुनावों के लिये आज अपनी दूसरी सूची जारी कर दी है। इससे पहले भाकपा 30 सीटों पर प्रत्याशियों की सूची जारी कर चुकी है। इस तरह भाकपा अब तक कुल 45 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। भाकपा अपनी अगली सूची शीघ्र ही जारी करेगी।
सूची जारी करते हुए भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने बताया कि भाकपा प्रदेश में चारों वामपंथी दलों के साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतर रही है। इसके अलावा धर्मनिरपेक्ष, जातिनिरपेक्ष, प्रगतिशील एवं जनवादी कई अन्य पार्टियों से चुनावी तालमेल की कोशिशें जारी हैं।
भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा है कि भाकपा प्रदेश में एक संवेदनशील, संघर्षशील एवं सशक्त वामपंथी विकल्प को आगे बढ़ाने के काम में जुटी है। वह महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, शिक्षा के बाजारीकरण, भूमि अधिग्रहण और कानून-व्यवस्था के सवाल पर केन्द्र एवं राज्य सरकारों को बेनकाब करने के प्रयासों में जुटी रही है। इसके अलावा भाकपा सत्तालोलुप जातिवादी एवं सम्प्रदायवादी पार्टियों के मंसूबों को भी जनता के सामने बेनकाब करती रही है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदेश की आम जनता में व्याप्त व्यापक चेतना के कारण आम जनता में वामपंथ के प्रति रूझान है और इस राजनैतिक वातावरण में निश्चय ही भाकपा और वामपंथ अगली विधान सभा में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करेंगे, इस दृढ़ विश्वास के साथ भाकपा चुनाव मैदान में उतर रही है।


भाकपा द्वारा जारी दूसरी सूची
1 -    पड़रौना                                   सगीर अहमद
2 -    गौरा                                       मसीहुद्दीन चौधरी
3 -    मेहनौन                                  श्रीमती मीनू वर्मा
4 -    महाराजगंज (सुरक्षित)            राम केवल पासवान
5 -    उतरौला                                  धर्मेन्द्र कुमार मिश्र
6 -    जहूराबाद                                शमीम अहमद
7 -    खागा                                      राम राज एडवोकेट
8 -    हुसैनगंज                                राकेश कुमार प्रजापति
9 -    बांगरमऊ                               राज बहादुर त्रिवेदी
10 -    ओबरा                                 सर्वचन्द पाण्डेय
11 -    अयोध्या                              अशोक तिवारी
12 -    फूलपुर                                इम्तियाज बेग
13 -    लालगंज (सुरक्षित)              उमेश चौधरी
14 -    आज़मगढ़ सदर                   जमील आज़मी
15 -    बबेरू                                   श्रीमती गीता सागर