Sunday, December 31, 2017

हिन्दुत्व की राजनीति का गलत मुक़ाबला और ज़िद्द पर अड़ कर पाखंडियों के लिए खुला मैदान छोडना ------ विजय राजबली माथुर

हिन्दुत्व की राजनीति को समझते हुये उसका पर्दाफाश करना चाहिए और तर्क के आधार पर उसे अनैतिक व अधार्मिक सिद्ध करना चाहिए न कि, राहुल गांधी,अखिलेश यादव और ममता बनर्जी की भांति उसमें उलझ कर फंसना चाहिए। यदि हम सही मार्ग अपना सके तब ही आर एस एस और हिन्दुत्व की कार्पोरेटी राजनीति को परास्त कर सकेंगे अन्यथा  गलत राह पकड़ने पर  देश को दक्षिण पंथी तानाशाही का शिकार बना देंगे। 
******                       ******                     ****** 
  हम डॉ भीम राव आंबेडकर के 27 फरवरी 1942 के वक्तव्य को देखें या डॉ जगदीश्वर चतुर्वेदी के 30 दिसंबर 2017 के फेसबुक स्टेटस को डॉ तेजल का वक्तव्य देखें अथवा प्रोफेसर अपूर्वा नन्द का साक्षात्कार सभी विद्वान आर एस एस के दुष्प्रचार के बढ़ते प्रसार से चिंतित दिखाई देते हैं । परंतु सिर्फ चिंता करने मात्र से समस्या का समाधान नहीं हो सकता है। हमें वैज्ञानिक - वैचारिक आधार पर उसका प्रतिवाद करना और जनता को वास्तविकता समझाना चाहिए केवल आलोचना करके उनको परास्त नहीं कर सकते बल्कि उनका काम सुगम करना होगा।                                                                                   





अपूर्वा नन्द : 



जिसका  अपना  जीवन ही  'संतुलित ' नहीं वह संत कैसे ? : 
बहुत बड़े - बड़े विद्वान, साहित्यकार और पत्रकार भी कुछ असामाजिक प्रवृति के लोगों के लिए साधु , संत , महात्मा, आध्यात्मिक गुरु आदि आदि शब्दों का प्रयोग करते हैं। यह सब पढ़ कर वेदना होती है। मेरा अपना निजी विचार है कि, किसी भी शब्द का अपना एक विशेष महत्व और अर्थ होता है । मैंने जो निष्कर्ष निकाले हैं उनके अनुसार ------ 
समस्या की जड़ है-ढोंग-पाखंड-आडंबर को 'धर्म' की संज्ञा देना तथा हिन्दू,इसलाम ,ईसाईयत आदि-आदि मजहबों को अलग-अलग धर्म कहना जबकि धर्म अलग-अलग कैसे हो सकता है ? वास्तविक 'धर्म' को न समझना और न मानना और ज़िद्द पर अड़ कर पाखंडियों के लिए खुला मैदान छोडना संकटों को न्यौता देना है।
(1 ) धर्म= सत्य,अहिंसा (मनसा-वाचा-कर्मणा ),अस्तेय,अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य। 
(2 ) भगवान =  भ (भूमि-ज़मीन )+ग (गगन-आकाश )+व (वायु-हवा )+I(अनल-अग्नि)+न (जल-पानी) । 
(3 ) चूंकि ये तत्व खुद ही बने हैं इसलिए ये ही खुदा  हैं। 
(4 ) इनका कार्य G(जेनरेट )+O(आपरेट )+D(डेसट्राय) है अतः यही GOD हैं।
(5 ) अध्यात्म = अध्यन + आत्मा अपनी आत्मा का अध्यन करना आडंबर प्रदर्शन नहीं। 
(6 ) संत =  संतुलित हो जीवन जिसका। 
(7 ) साधु  =  साध चुका हो जो जीवन अपना। 
(8 ) भक्ति = "भक्ति"शब्द ढाई अक्षरों क़े मेल से बना है."भ "अर्थात भजन .कर्म दो प्रकार क़े होते हैं -सकाम और निष्काम,इनमे से निष्काम कर्म का (आधा क) और त्याग हेतु "ति" लेकर "भक्ति"होती है.आज भक्ति है कहाँ ?
(9 ) ज्योतिष =  अक्सर यह चर्चा सुनने को मिलती है की ज्योतिष का सम्बन्ध मात्र धर्म और आध्यात्म से है.यह विज्ञान सम्मत नहीं है और यह मनुष्य को भाग्य के भरोसे जीने को मजबूर कर के अकर्मण्य बना देता है.परन्तु ऐसा कथन पूर्ण सत्य नहीं है.ज्योतिष पूर्णतः एक विज्ञान है.वस्तुतः विज्ञान किसी भी विषय के नियम बद्ध  एवं क्रम बद्ध  अध्ययन को कहा जाता है.ज्योतिष के नियम खगोलीय गणना पर आधारित हैं और वे पूर्णतः वैज्ञानिक हैं  ********

वस्तुतः ज्योतिष में ढोंग पाखण्ड का कोंई स्थान नहीं है.परन्तु फिर भी हम देखते हैं कि कुछ लोग अपने निजी स्वार्थों की खातिर जनता को दिग्भ्रमित कर के ठगते हैं और उन्हीं के कारण सम्पूर्ण ज्योतिष विज्ञान पर कटाक्ष किया जाता है.यह एक गलत क्रिया की गलत प्रतिक्रिया है.जहाँ तक विज्ञान के अन्य विषयों का सवाल है वे What & How का तो जवाब देते हैं परन्तु उनके पास Why का उत्तर नहीं है.ज्योतिष विज्ञान में इस Why का भी उत्तर मिल जाता है.
ज्योतिष को विकृत व बदनाम किया है ब्राह्मण पुजारियों ने  :
ज्योतिष वह विज्ञान है जो मानव जीवन को सुंदर, सुखद व समृद्ध बनाने 
हेतु चेतावनी व उपाय बताता है। लेकिन आज इस विज्ञान को स्वार्थी व 
धूर्त लोगों ने पेट-पूजा का औज़ार बना कर इसकी उपादेयता को गौड़ कर 
दिया व इसे आलोचना का शिकार बना दिया है।
किन्तु हमारे विद्वान धर्म और ज्योतिष की ही आलोचना करते हैं न कि, गलत प्रयोग करने वालों की जिसका परिणाम यह होता है कि जनता गलत लोगों के चंगुल में फँसती रहती और अपना शोषण- उत्पीड़न करवाती रहती है। 
हिन्दुत्व की राजनीति को समझते हुये उसका पर्दाफाश करना चाहिए और तर्क के आधार पर उसे अनैतिक व अधार्मिक सिद्ध करना चाहिए न कि, राहुल गांधी,अखिलेश यादव और ममता बनर्जी की भांति उसमें उलझ कर फंसना चाहिए। यदि हम सही मार्ग अपना सके तब ही आर एस एस और हिन्दुत्व की कार्पोरेटी राजनीति को परास्त कर सकेंगे अन्यथा  गलत राह पकड़ने पर  देश को दक्षिण पंथी तानाशाही का शिकार बना देंगे। 

 




 ~विजय राजबली माथुर ©

2 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (02-01-2018) को नववर्ष "भारतमाता का अभिनन्दन"; चर्चा मंच 2836

पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
नववर्ष 2018 की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

JEEWANTIPS said...

उत्कृष्ट व प्रशंसनीय प्रस्तुति........
नववर्ष 2018 की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।सादर...!