Saturday, May 11, 2019

सुनयना रावत का सपना सार्वजनिक किया ------ डॉ प्रणय रॉय ने


चुनावी राजनीति के शोर में हम अपने देश और समाज की मुश्किलों को, उसके संकटों को कैसे समझें? राजनीति की चालाक बयानबाज़ियों से दूर कोई मासूम आवाज़ ही यह सच कह सकती है. दिक्कत ये है कि हम उस तक पहुंचने की, उसकी बात सुनने की फ़ुरसत नहीं निकालते, इसके लिए ज़रूरी सब्र नहीं दिखाते. यूपी के अमरौली में एनडीटीवी के प्रमुख डॉ प्रणय रॉय को चुनावी दौरे के बीच एक छोटी सी बच्ची मिली- सुनयना रावत. सातवीं में पढ़ने वाली यह बच्ची डॉक्टर बनने का सपना देखती है, लेकिन इस बात से बेख़बर है कि उसके सपने की राह में किस तरह की सच्चाइयां खड़ी हैं.

https://khabar.ndtv.com/video/show/ndtv-special-ndtv-india/sunayna-shares-her-dream-with-dr-prannoy-roy-514480








सुनयना रावत का सपना सार्वजनिक करके  डॉ प्रणय रॉय ने देश में उपस्थित सामाजिक ,  आर्थिक , राजनीतिक , शिक्षा,चिकित्सा,जीवन चर्या आदि की विषमताओं पर जो प्रकाश डाला है वह चुनाव के दौरान सभी प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों को झकझोरने के लिए काफी है लेकिन राजनीतिक क्षेत्रों से किसी त्वरित प्रतिक्रिया का न आना विस्मयकारी है। 


   ~विजय राजबली माथुर ©
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नई दिल्ली: चुनावी राजनीति के शोर में हम अपने देश और समाज की मुश्किलों को, उसके संकटों को कैसे समझें? राजनीति की चालाक बयानबाज़ियों से दूर कोई मासूम आवाज़ ही यह सच कह सकती है. दिक्कत ये है कि हम उस तक पहुंचने की, उसकी बात सुनने की फ़ुरसत नहीं निकालते, इसके लिए ज़रूरी सब्र नहीं दिखाते. यूपी के अमरौली में एनडीटीवी के प्रमुख डॉ प्रणय रॉय को चुनावी दौरे के बीच एक छोटी सी बच्ची मिली- सुनयना रावत. सातवीं में पढ़ने वाली यह बच्ची डॉक्टर बनने का सपना देखती है, लेकिन इस बात से बेख़बर है कि उसके सपने की राह में किस तरह की सच्चाइयां खड़ी हैं. उसके साथ हुई ये पूरी बातचीत दरअसल एक बच्ची का नहीं, ग्रामीण भारत में अपने हिस्से की उपेक्षा, अपने हिस्से का छल झेल रहे अनुसूचित समुदाय का दर्द बयान करती है. इस बच्ची की आवाज़ में कहीं से कातरता नहीं है, वह उम्मीद से भरी है- यह बात हौसला देती है, लेकिन यह सोचे बिना रहा नहीं जाता कि यह एक लड़की की नहीं, अपनी सारी उपेक्षा से बेख़बर एक देश की आवाज है. तो पढ़िये ये बातचीत- सच सपना और सुनयना. 
सवाल - काम मिल रहा है आजकल?
जवाब - रोजगार नहीं है, इसलिए खेत भी खाली है. रोजगारी नहीं ज्यादा होती, कैसे काम करेंगे? जब काम ही नहीं होगा यहां पर खेत सब खाली पड़े हैं खेत में जैसे धान लगी रहती है वहीं काट लो तो काम मिल जाता था क्या काम करें

सवाल - क्या काम पहले से कम हो गया है?
जवाब - पहले अपने लायक अनाज हो जाता था लेकिन अब खेत में अनाज हो ही नहीं पाता है. जो हम खेत में उगाते थे वही काट बांटते खाते थे. पहले खेत वेत वगैरह कुछ बोल देते थे, धान चावल जैसे वह उगते थी, खेत में हम लोग वहीं काट-काट के घर में लाते थे बेच भी देते थे,  खाते भी थे और जब खाने को नहीं मिलेगा तो बेचेंगे क्या?  वैसे अगर जानवर बन जाएं सब पूरे गांव के तो हम लोगों का बहुत फायदा रहेगा इतना ही कहना है.

सवाल - पहले और भी काम मिलता था कम हो गया क्या?
जवाब - पहले काफी काम मिल जाता था. बहुत काम मिलता था पहले जैसे नरेगा पहले चलता था लगता है बंद हो गया है. यहां पर नरेगा नहीं चल रहा है.

सवाल- नरेगा बंद हो गया क्या?
जवाब- पता नहीं लेकिन यहां पर नरेगा नहीं चल रहा है कहीं और होगा.

सवाल - पहले काम ज्यादा मिलता था?
जवाब - और क्या जैसे खेत में किसान अगर उग आते थे धान चावल को उसे बेच कर अपना घर भी बनवा देते. मतलब किसान लोग खेती से ही अपनी जिंदगी बिताते थे. आमदनी नहीं, खाने को क्या होगा?

सवाल- अभी रोज की आमदनी कितनी होती है. कुछ आईडिया ₹50 से ₹100 या कितनी आमदनी हो जाती है दिन की?
जवाब - आमदनी अब जब घर में खाने का ही नहीं तो आमदनी क्या? वैसे किसी समय कोई काम नहीं चलता है अभी 2-4 महीने बाद धान वान लगवाई शुरू होगा, तभी सबके काम लगेंगे खेत में धान वान लगाना होगा तभी काम मिलेगा सबको वही धनवान लगाएंगे. तभी पैसे आएंगे घर में ऐसे ऐसे कितने समय क्या करेंगे कुछ भी तो नहीं एक-दो लोगों के खेतों में वह गुण था.  वहीं काट रहे थे सब लोग तो हम लोगों को क्या देंगे काटने को अगर खेत पर भेज दो तो हम लोग उसे काटे नहीं अगर इसे थोड़ा बहुत खेद भी है.  

सवाल - अब क्या खाने को मिलता है अब क्या खाते हो रोज? जवाब - जो थोड़ा बहुत हो जाता है वही खाया जाता है, नहीं होता है तो खरीदा जाता है. जिसके पास ज्यादा हो जाता है उस से खरीद लेते हैं. 

सवाल -क्या आपके पास सिलेंडर है? 
जवाब- सिलेंडर तो है मायावती ने एक दिलवाया था और एक ऐसे ही घर से खरीदा गया था.  एक मोदी ने खरीदवाया था वह 'घर में गैस सिलिंडर खाली पड़ा है', हमारे पास सिलेंडर भरवाने के पैसे नहीं हैं.

सवाल - यह सिलेंडर बिल्कुल खाली है,  खाली क्यों है? 
जवाब - खाली इसलिए है क्योंकि अभी काम नहीं लग रहा है,  कौन काम करें हम लोगों के पास तो पैसे भी नहीं हैं घर में . क़रीब 900 का भरता होगा सिलिंडर.

सवाल - गैस का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं? 
जवाब - कितने समय से इस्तेमाल नहीं हो रहा है. हम तो खाना अपने चूल्हे पर ही पकाते हैं.

सवाल -तो किसी चीज से खाना बनाते हैं आप? 
जवाब - खाना चूल्हे में पकता है, चूल्हा इधर नहीं है, आंगन के बाहर बनता है. यह गैस सिलेंडर जहां पर खाली है ऐसे ही पड़ा रहता है. अभी यहां 10- 11 बीघा गेहूं जल रहा है. हम स्कूल जाते हैं स्कूल से आते हैं. मैं पढ़ने के लिए स्कूल जाती हूं.

सवाल - पढ़ाई होती है अच्छी?
जवाब - होती है पढ़ाई

सवाल - टीचर हैं?
जवाब- टीचर तो है

सवाल - आप पढ़ते हो कि नहीं पढ़ते हो स्कूल जाकर?
जवाब- पढ़ते हैं सेवंथ क्लास में. मुझे बड़ी होकर डॉक्टर बनना है. 

सवाल -- आप क्या चाहते हो कि आप क्या बना? 
जवाब - डॉक्टर

सवाल - डॉक्टर क्यों? 
जवाब - क्योंकि गांव में ज्यादा लोग बीमार होते हैं ना,  इसीलिए गांवों में बहुत सारे लोग बीमार होते हैं वैसे हम गांव के रहेंगे और डॉक्टर बनेंगे तो कैसे भी कम लेंगे, और ऐसे ही यहां के बाहर के डॉक्टर तो वैसे भी ज्यादा लेते हैं जब दवा देने जाओ. 'हम चार भाई, दो बहनें हैं'

सवाल -कितने भाई बहन हो आप? 
जवाब- आप चार भाई हैं दो बहने? 

सवाल -कल रात को क्या खाना खाया था? 
जवाब- कल दाल चावल रोटी बनी थी और तो कुछ नहीं.'पैसे होते तो हम कुछ अच्छा खाते'

सवाल - अगर आपके पास अभी पैसे होते तो आप क्या करते हो उसके साथ? 
जवाब - कुछ अच्छा खाते जैसे कि कुछ भी हर एक अच्छा खाना मिलता है? 

सवाल - मैक्रोनी अच्छा लगता है? 
जवाब - हां

सवाल - चाऊमीन?
जवाब- हां

सवाल - कितनी बार चाउमीन मिलता है
जवाब - बहुत बार मिले हैं पहले तो बहुत खाते थे. अब कम कर दिया है क्योंकि तबीयत खराब हो जाती है. ऐसे रोड में रखकर बनाते हैं मक्खी मक्खी सब बैठी रहती है. वही खा लेते हैं तो बीमार पड़ जाते हैं . इसीलिए गुरु जी कहते हैं अब मत खाया करो इसलिए नहीं खाते हैं. 

सवाल - आपके गुरु जी कौन है?
जवाब - हमारे गुरु जी हमारे स्कूल में पढ़ाते हैं वह मैम का नाम है रीता और गुरु जी का नाम है प्रीतम? बड़े गुरुजी रिटायर हो चुके हैं इसीलिए अब नहीं आते हैं.

सवाल - आप किस जाति से हैं? 
जवाब - रावत, हम लोग तो रावत हैं बस धन्यवाद अब हम लोग जा रहे हैं खेत में'खेत में पापा की मदद करते हैं'.

सवाल - आप भी जाते हैं खेत में? 
जवाब - पापा लोग के साथ काम करवाते हैं? 

सवाल - क्या क्या काम करवाते हैं? 
जवाब - गेहूं काटते हैं, गेहूं काट के फिर हम लोग गेहूं निकालते हैं बाहर. बोरी में भरते हैं फिर भूसा ढोते हैं. अभी भी हम भूसा लेकर आए हैं अब फिर से जा रहे हैं लेने. खेत में गाय हमारी फसल खा जाती है. एक साल से खेत में समस्या बढ़ी है. फसल काटने से पहले ही गाय खा लेती हैं तो हम लोगों को काटने के लिए अगर थोड़ा बहुत मिल भी जाता है तो वहीं काटते हैं. अभी 1 साल पहले से खुली है ज्यादा पहले नहीं खुली थी . ज्यादा पहले हमारे लोगों की बढ़िया लाइफ चल रही थी . अच्छे से चल रही थी . 

सवाल - हम लोग आएंगे आपके साथ,  देखते हैं खेत कितना दूर है आपका? 
जवाब- एक किलोमीटर दूर होगा. स्कूल से आने के बाद खेत जाते हैं.

सवाल - हर दिन आप जाते हैं खेत में? 
जवाब - हर दिन नहीं स्कूल में आने के बाद जाते हैं

सवाल - तुम स्कूल सुबह किस समय जाते हैं? 
जवाब - 7:00 बजे 7:30 बजे और वापस 1:00 बजे आते हैं


सवाल - उसके बाद?
जवाब- खेत का टाइम, उसके बाद खाना-वाना खाकर खेत में जाते हैं

सवाल - खेत में मतलब इसी टाइम पर?
जवाब - हां 1:00 बजे 

सवाल - और स्कूल में अंग्रेजी भी पढ़ते हैं? 
जवाब- स्कूल में अंग्रेजी चलती है पर हम सरकारी में पढ़ रहे थे तो हमें इंग्लिश विंगलिश बगैरा नहीं आती.  हिंदी- इंग्लिश तो ज्यादा चलती थी लेकिन हमें समझ में नहीं आती थी. वैसे अगर हम कोचिंग वोचिंग में जाएंगे तो ऐसे थोड़े कि घर में कोई पढ़ा बड़ा तो है नहीं, जब घर में कोई पढ़ा होगा तभी आएगी और जब भी हम जाते हैं दोनों लोग फिर आते हैं.  घर में पढ़ते हैं कोई बताने वाला हो तो फिर आ जाएगी.

सवाल - तो आप अभी प्राइवेट स्कूल में जाएंगे? 
जवाब- आप अभी नया नया एडमिशन हुआ है, अभी यूनिफॉर्म नहीं लिया है किताब नहीं ली है. खाली अभी अभी पैसे जमा नहीं हुए. 

सवाल - पैसे नहीं हैं? 
जवाब- अभी जमा नहीं हुए हैं प्राइवेट स्कूल के लिए, सरकारी स्कूल में होते तो जमा हो जाते. सॉरी सरकारी स्कूल में पैसा ही नहीं लगता वह फ्री है. प्राइवेट स्कूल में पढ़ना महंगा है.


सवाल - और प्राइवेट स्कूल में कितना लगता है? 
जवाब - प्राइवेट स्कूल में ₹300 बैंक आफ रिज अभी किताब नहीं ली है किताब के पड़ेंगे शायद दो ₹400 और,  जो फॉर्म देंगे उसके भी पैसे पड़ेंगे और फिर फीस देनी पड़ेगी जूते भी लेने पड़ेंगे सब लोग वहां जूते पहन कर आते हैं वह भी लेना पड़ेगा.  

सवाल - काफी महंगा है? 
जवाब-  और क्या. पापा चाहते हैं कि हम पढ़ें. पापा कह रहे थे कि पढ़ लो वैसे भी घर में लोग पढ़े नहीं हैं. इसलिए सोचते हैं तुम पढ़ लो. 



सवाल - लेकिन पैसा कहां से मिलेगा? 
जवाब- आप यही जो हम लोग खेत में थोड़ा बहुत काम करते हैं फिर पापा मजदूरी भी करते हैं. उसी के पैसे मिलेंगे तो होगा यह सब अभी तो नहीं हुआ है फिर भी हो जाएगा. 


डॉ. प्रणय रॉय ने सुनयना से बातचीत के बात कहा कि हमें आपसे बात करके अच्छा लगा. हम आपका धन्यवाद करते हैं कि आपने हमें अपने जीवन और परिवार से जुड़ी इतनी बारीक से बारीक जानकारी साझा की. 

https://khabar.ndtv.com/news/india/seven-year-old-sunayna-wants-to-become-a-doctor-read-what-she-shared-with-dr-prannoy-roy-2033854

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