एक समय हमारे देश में जगन मिथ्या का मिथ्या का पाठ पढाया जाने लगा था.मध्य अमेरिकी माया सभ्यता ने पहले पहल भविष्यवाणी की थी कि,21 दिसंबर 2012 को यह दुनिया समाप्त हो जाएगी.प्राचीन चीनी पुस्तक चाइनीज़ बुक ऑफ चेंजेज़ एवं बाइबिल तथा कुछ पौराणिक ग्रन्थ भी ऐसी ही संभावना व्यक्त करते हैं.आधुनिक वैज्ञानिकों के अनुसार अमेरिका का येलो स्टोन नेशनल पार्क गर्म सोतों का क्षेत्र है जो दुनिया के सबसे बड़े ज्वालामुखी के ऊपर स्थित है.वैज्ञानिकों के अनुसार हर साड़े छः लाख वर्ष बाद यह ज्वालामुखी फटता है.वैसे यह समय निकल चुका है किन्तु भू-गर्भ वैज्ञानिक २०१२ में इसके फटने का अनुमान लगा रहे हैं.लन्दन की एक महिला ने 1970 के आस पास भविष्यवाणी की थी कि world will end in 1991 .उन्नीस वर्ष बाद भी दुनिया अपनी जगह कायम है.फ्रांसीसी भविष्य वेत्ता नेस्त्रादम ने 1999 में चीन द्वारा अमेरिका पर आक्रमण किये जाने से तृतीय विश्व युद्ध होने की बात कही थी जो नहीं हुआ.वर्ष 2004 में बाबा जी पत्रिका में भविष्यवाणी छपी थी कि पूर्व प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी 15 दिन के भीतर सत्ता में वापिस आ जायेंगे.आखिर सभी भविष्यवाणियाँ थोथी क्यों सिद्ध हुईं?बर्कले विश्वविद्यालय के भौतिकी वैज्ञानिकों समेत सभी की भविष्यवाणियाँ 2012 में प्रलय का खौफ पैदा कर सकती हैं परन्तु प्रलय लाने में कामयाब नहीं होंगी-आखिर क्यों?इस अनूठी दुनिया को समझने का यथार्थ रहस्य हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों ने शुद्ध वैज्ञानिक आधार पर बहुत पहले ही खोज रखा है-आवश्यकता है बुद्धि का सही प्रयोग कर उसे समझने की.
किसी भी विषय के क्रमबद्ध एवं नियम बद्ध अध्ययन को विज्ञान कहते हैं और विज्ञान के नियमों में एक निश्चित अनुपात रहता है.उदाहरण के तौर पर -हाइड्रोजन के दो भाग और ऑक्सीजन का एक भाग मिलने से पानी बनेगा.अब यदि हाइड्रोजन के दो भाग के साथ ऑक्सीजन भी दो भाग मिला देंगे तो वह हाइड्रोजन पराक्साइड बनकर उड़ जायेगा.यजुर्वेद 40/5 के अनुसार तद दूरे तदवान्तक अथार्त सम्पूर्ण ब्रह्मांड में विद्यमान होने के कारण परमात्मा दूर से भी दूर व पास से भी पास है.यजुर्वेद 31 -3 के अनुसार परमात्मा के 1 /4 भाग में यह ब्रह्मांड विद्यमान है अतः ब्रह्मांड के 3 /4 भाग में परमात्मा है.परमात्मा अथार्त ब्रह्मा का दिन और रात कितने समय का है वह इस गणना से स्पष्ट होगा:-
कलयुग-4 लाख 32 हज़ार वर्ष
द्वापर युग (कल*2 )-8 लाख 64 हज़ार वर्ष
त्रेता युग (कल*3 )-12 लाख 96 हज़ार वर्ष
सत युग (कल*4 )-17 लाख 28 हज़ार वर्ष
एक चतुर्युगी=43 लाख 20 हज़ार वर्ष
एक हज़ार चतुर्युगी=43 लाख 20 हज़ार*1000
अथार्त 4 अरब 32 करोड़ वर्ष का ब्रह्मा का एक दिन और इतना ही समय रात का होता है.
दिन अथार्त सृष्टि और रात अथार्त प्रलय.
वर्तमान समय में इस सृष्टि का 1 अरब 97 करोड़ 29 लाख 49 हज़ार 110 वां वर्ष चल रहा है अथार्त अभी भी २ अरब ३४ करोड़ ७० लाख ५० हज़ार ८९० वर्ष यह सृष्टी चलेगी उसी के बाद प्रलय होगी.अतः उससे पूर्व २०१२ या कभी भी प्रलय - भविष्य वाणी अवैज्ञानिक होने के कारण झूठी ही सिद्ध होगी.
मुंबई के श्री वेंकटेश्वर शताब्दी पञ्चांग (जो संवत 2100 तक का है) के अनुसार 21 दिसंबर 2012 को ग्रह स्थिति निम्न प्रकार होगी-
दिन-शुक्रवार
तिथी-नवमी
सूर्य-धनु राशी में
चन्द्रमा-मीन राशी में
मंगल-मकर राशी में
बुध-वृश्चिक राशी में
गुरु -वृष राशी में
शुक्र-वृश्चिक राशी में
शनि-तुला राशी में
राहू-वृश्चिक राशी में
केतु-वृष राशी में
हम और आप जिस दुनिया में रह रहे हैं वह अभी ख़तम होने वाली नहीं है,घबराइये नहीं और परमात्मा की कृति इस इस अनूठी दुनिया में अपने जीवन का भरपूर लुत्फ़ उठाइए.यह दुनिया है क्या और यह जीवन क्या है?यह सृष्टी यह दुनिया तीन तत्वों पर आधारित है-आत्मा,परमात्मा और प्रकृति.इनमे से एक को भी कम करदें तो यह सृष्टी नहीं चल सकती.परमात्मा और आत्मा सखा हैं अजर और अमर हैं,प्रकृति भी नष्ट नहीं होती है परन्तु उस का रूपांतरण हो जाता है.प्रकृति में समस्त पदार्थ ठोस,द्रव और गैस हैं,ठोस रूप में वह बर्फ है,द्रव रूप में जल और गैस रूप में हाइड्रोजन व् ऑक्सीजन के परमाणुओं में बदल जाता है.प्रकृति में सत रज और तम के परमाणुओं का सम्मिश्रण पाया जाता है और ये विषम अवस्था में होते हैं तभी सृष्टी का संचालन होता है.इन तीनों की सम अवस्था ही प्रलय की अवस्था है.प्रकृति में हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है और कोई भी दो तत्व मिल कर तीसरे का सृजन करते हैं.उदाहरण के लिए गाय के गोबर और दही को एक सम अवस्था में किसी मिटटी के बर्तन में वर्षा ऋतु में बंद कर के रख दें तो बिच्छू का उद्भव हो जायेगा जो घातक जीव है,जबकि गोबर और दही दोनों ही मानव के लिए कल्याणकारी हैं.अब यदि rectified sprit में बिच्छू को पकड कर डाल दें और जब स्प्रिट में उसका विलयन हो जाए तो फ़िल्टर से छान कर सुरक्षित रखने पर वही बिच्छू दंश उपचार हेतु सटीक औषधी है.हम देखते हैं कि गोबर और दही की क्रिया पर प्रतिक्रिया स्वरुप बिच्छू,और बिच्छू और स्प्रिट की क्रिया पर बिच्छू काटे में उपचार हेतु दवा प्राप्त हो जाती है.
शेष अगली पोस्ट में.......
(विशेष-मेरा यह आलेख मई २०१० में लखनऊ के एक साप्ताहिक समाचार पत्र में प्रकाशित हो चुका है,जन कल्याणार्थ इसे यहाँ भी प्रस्तुत किया जा रहा है.)
Typist -यशवन्त माथुर
2 comments:
.
Very informative and useful post.
Regards to you and Yashwant ji.
.
Divya Ji,
Thanks for your Positive Thinking.
Post a Comment